Sunday, December 20, 2020

समूहों ने गरीब महिलाओं को दी नई और सशक्त पहचान

 Monday 09th November 2020 at 14:33 IST

 आजीविका गतिविधियों से ही हुआ सामाजिक आर्थिक सशक्तिकरण 


भोपाल
: सोमवार 9 नवम्बर2020: (मध्यप्रदेश स्क्रीन ब्यूरो)::

मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा वर्ष 2012 से ग्रामीण गरीब परिवारों की महिलाओं के सामाजिक आर्थिक सशक्तिकरण के लिये स्व-सहायता समूह बनाकर उनके संस्थागत विकास तथा आजीविका के संवहनीय अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हैं। मिशन द्वारा प्रदेश में अब-तक समस्त जिलों के 43 हजार 781 ग्रामों में 3,08,676 स्व-सहायता समूहों का गठन किया गया है। इन समूहों से 34 लाख 78 हजार परिवारों को जोड़ा जा चुका है।

मिशन का उद्देश्य ग्रामीण निर्धन परिवारों की महिलाओं को स्व-सहायता समूह के रूप में संगठित कर उन्हें सशक्त बनाने हेतु प्रशिक्षित कर सहयोगात्मक मार्गदर्शन करना एवं समूह सदस्यों के परिवारों को रूचि अनुसार उपयोगी स्व-रोजगार एवं कौशल आधारित आजीविका के अवसर उपलब्ध कराना है, ताकि मजबूत बुनियादी संस्थाओं के माध्यम से गरीवों की आजीविका को स्थायी आधार पर बेहतर बनाया जा सके।

ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत निर्धन श्रेणी के परिवारों के इन समूहों को मिशन द्वारा चक्रीय निधि, सामुदायिक निवेश निधि आपदा कोष तथा बैंक लिंकेज के रूप में वित्तीय सहयोग किया जा रहा है। इस राशि से उनकी छोटी बड़ी आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है, जिससे वह साहुकारों के कर्जजाल से बच जाते हैं।

मिशन द्वारा दिये जा रहे लगातार प्रशिक्षण, वित्तीय साक्षरता, वित्तीय सहयोग एवं सहयोगात्मक मार्गदर्शन से लाखों परिवारों की निर्धनता दूर हो गई है। प्रशिक्षणों का ही परिणाम है कि समूह सदस्यों के अन्दर गरीबी से उबरने की दृढ़ इच्छा शक्ति उत्पन्न हुई। परिणाम स्वरूप वह आगे बढ़कर पात्रता आनुसार अपने हक, अधिकार न केवल समझने लगे हैं बल्कि प्राप्त करने लगे हैं।

मिशन के प्रयासों से ग्रामीण निर्धन परिवारों के जीवन में अनेकों सकारात्मक परिवर्तन आ रहे हैं। इनमें सामाजिक, आर्थिक सशक्तिकरण प्रमुख रूप से देखा जा सकता है।

 ग्रामीण क्षेत्र में निर्धन परिवारों में महिलाओं की आय मूलक गतिविधियाँ करने के अवसर नहीं मिलते थे, उनका जीवन केवल चूल्हे-चौके व घर की चार दीवारी तक ही सीमित रह जाता था। घर के संचालन, आय-व्यय, क्रय-विक्रय आदि सहित अन्य मुद्दों पर निर्णय में पुरूषों का एकाधिकार था, यहाँ तक कि महिलाओं के आने-जाने, उठने-बैठने, पहनने-ओढ़ने, खाने-पीने आदि जैसे व्यक्तिगत मुद्दों पर भी उनकी राय लेना मुनासिव नहीं समझा जाता था, बल्कि सब कुछ एकतरफा उनपर थोप दिया जाता था। कभी परंपरा तो कभी संस्कार मर्यादा के नाम पर महिलाओं के पास इन्हें ढोने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता था। उनकी अपनी कोई पहचान इच्छा-अनिच्छा, सहमति-असहमति नहीं होती थी। घर के संचालन एवं खेती वाड़ी तथा व्यवसायिक कार्यो में महिलाएँ तो जैसे सपनों की बातें हों।

मिशन के समूहों से जुड़कर महिलाओं को जो अवसर मिला उससे उन्होंने अपनी कावलियत को सिद्ध कर अपनी अलग पहचान बनाई। आज प्रदेश में समूहों से जुड़े 12 लाख 31 हजार से अधिक परिवार कृषि एवं पषुपालन आधारित आजीविका गतिविधियों से जुड़े हैं जबकि 3 लाख 85 हजार से अधिक परिवार गैर कृषि आधारित लघु उद्यम आजीविका गतिविधियों से जुड़कर काम कर रहे हैं।

ग्रामीण क्षेत्र में आजीविका गतिविधियों को और सुदृढ़ करने के लिये एक वर्ष में रू.1400 करोड़ बैंक ऋण समूहों को उपलब्ध कराने का लक्ष्य प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है। साथ ही मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता योजना के अंतर्गत भी 10 हजार रूपये तक का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। यह राशि मिलने से समूहों की गतिविधियों में गति बढ़ गई है।

गैर आय मूलक नगण्य घरेलू कामों के अलावा अब समूह सदस्य महिलाएँ अपने परिवार के साथ-साथ गांव एवं सामुदायिक विकास के महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय देती हैं। उनके अन्दर आई जागरूकता के कारण न केवल घर में बल्कि गांव व क्षेत्र में भी उनके सम्मान में बढ़ोतरी है। समूहों, ग्राम संगठनों, संकुल स्तरीय संघो की नियमित बैठकों में भागीदारी करने से उनकी समझ व सक्रियता बढ़ गई है उनकी कार्यशैली में निखार एवं आत्म विष्वास में बढ़ोतरी हुई है। समूहों में सिखाये गये 13 सूत्रों ने उन्हें मूल मंत्र दे दिया जिससे वे निरंतर आगे बढती जा रही हैं। समूहों की बैठक में नियमित बचत लेन-देन, ऋण वापसी तथा दस्तावेजी करण, बैंकों में आने-जाने से उनके अंदर वित्तीय साक्षरता, व्यवसायिक प्रबंधन की क्षमता विकसित हो गई। इसी का परिणाम है कि घूंघट में रहने वाली शर्मीले स्वभाव की ग्रामीण महिला आज अपनी यह पहचान बदलकर बड़ी-बड़ी सभाओं में मंच से लाखों की भीड के सामने निर्भीक होकर अपने विचार व्यक्त करती है।

इस पूरे काम में एक खास बात यह है कि महिलाओं का अनपढ होना बाधक नहीं बना और वे सदियों पुरानी रूढियों को तोड़कर अपने गुमनाम जीवन से उठकर समुदाय में महत्वपूर्ण भूमिका में पहुंचने में कामयाब हो गई। आज उनकी पहचान केवल किसी की पत्नी, बहू या मां के रूप में ही नहीं है बल्कि अब वे समूहों संगठनों के महत्वपूर्ण पदाधिकारियों के रूप में जानी जाती हैं। घरों में अब नजारे उल्टे हैं, सास, ससुर पति सहित सभी एक स्वर में इनका नेतृत्व सहज स्वीकार करते देखे जा सकते हैं। इन्होंने इस सत्ता परिवर्तन के लिये कोई हिंसक लड़ाई नहीं लड़ी बल्कि अपनी काबलियत के दम पर सत्ता स्वीकार करने के लिये अपने परिजनों को तथा समुदाय को मजबूर कर दिया।

आज पत्नी से पूछकर पति बाहर जाता है घर में फसल, पढाई लिखाई, खरीद बिक्री, आदि निर्णय महिलाओं की राय पर ही लिये जाते हैं।

सामुदायिक विकास के क्षेत्र में भी महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पहले की तुलना में ग्राम सभा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ना, पात्रता अनुसार स्वास्थ्य, पोषण, षिक्षा आदि के व्यक्तिगत एवं सामुदायिक मुद्दों पर भी जबरदस्त सकारात्मक परिवर्तन देखा जा सकता है। घर-घर में पोषण वाटिका लगाकर अपना, अपने परिवार का तथा अपने गांव में कुपोषण दूर करने के प्रयास देखे जा सकते हैं।

समूह सदस्यों के अन्य व्यवहार परिवर्तनों में एक अन्य महत्वपूर्ण परिवर्तन है नगद रहित व्यवहार, समूहों का समस्त लैन-दैन चैक के माध्यम से ही होता है या फिर बैंक सखियों द्वारा ई-ट्रांजिक्शन भी कराया जाता है। इस कारण आर्थिक धोखाधड़ी की संभावनाएँ कम हो गई हैं।

परंपरागत आय के साधन कृषि-पशुपालन के साथ-साथ अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिये सिलाई, दुकान, साबुन, अगरबत्ती निर्माण, आदि सहित 103 प्रकार की लघु उद्यम गतिविधियां रूचि अनुसार की जा रही हैं जिस कारण संवहनीय आजीविका के अवसर मिलने से इनकी आय में उत्तरोत्तर वृद्धि निरंतर हो रही है। प्रदेश में 2 लाख से अधिक महिलाएँ ऐसी हैं जो न्यूनतम 10 हजार रू. मासिक आय अर्जित कर रही हैं।

समूहों के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का अवसर मिलने से जो नई पहचान मिली उसकी वजह से विभिन्न राजनैतिक पदों पर भी समूह सदस्य निर्वाचित हुई हैं। पंच-सरपंच से लेकर जपनद जिला पंचायत सदस्य, अध्यक्ष उपाध्यक्ष विधायक व राज्य सभा सदस्य जैसे पदों तक भी पहुंची हैं। इसके अलावा विभिन्न समितियों में भी महत्वपूर्ण पद मिले हैं।

ग्रामीण क्षेत्र में घूंघट की ओट में चूल्हे चौके तक सीमित रहकर गुमनाम जिंदगी जीने वाली महिलाएँ अपने परिवार गांव, जिले की पहचान व शान बन गईं।

समुदाय के बीच समूह की अवधारणा के प्रचार-प्रसार, क्षमता वर्धन, बैंक संयोजन, समूहों की आय अर्जन गतिविधियों में सहयोग आदि कार्य के लिये समूह सदस्यों में से ही सामुदायिक स्त्रोत व्यक्तियों का चिन्हांकन एवं प्रशिक्षण किया गया। सामुदायिक स्त्रोत व्यक्ति सामुदायिक संस्थाओं के स्थाई रूप से सषक्तिकरण में सहभागी बने, साथ ही इस कार्य से उन्हें अतिरिक्त आय भी प्राप्त हो रही है।

मिशन द्वारा लगभग 6000 महिलाओं को कम लागत कृषि एवं जैविक खेती पर प्रशिक्षित किया गया। इन्होंने मास्टर कृषि सी.आर.पी. के रूप में न केवल अपने घर, गांव जिला प्रदेश, बल्कि अन्य राज्यों जैसे-हरियाणा, उत्तरप्रदेश व पंजाब में भी सेवाएँ देकर अपनी अलग पहचान बनाई है। सामाजिक सषक्तिकरण के साथ-साथ आर्थिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी महिलाओं ने नये आयाम स्थापित किये हैं। समूहों से जुड़े कई ऐसे परिवार भी हैं जिनकी मासिक आय 50 हजार रूपये तक है। लाखों की संख्या में महिलाओं ने पुराने जीर्ण-शीर्ण घरों की जगह अपने पक्के मकान, दुकान आदि बनवा लिये, कृषि भूमि खरीदी है तथा साहूकारों के कर्ज जाल से मुक्ति पाकर नये जीवन की शुरूआत की है। बदलाव की नजीर देखें तो अकेले अजीराजपुर जिले के उद्यगढ़ क्षेत्र में 19 गांवों के 26 समूहों के 76 सदस्यों ने 26 लाख से अधिक रूपये से गिरबी रखी 176 एकड़ जमीन साहूकारों के कर्जे से वर्ष 2019 में मुक्त कराई। ऐसे एक नहीं अनेकों उदाहरण विभिन्न जिलों में हैं। समूह सदस्यों की आय में वृद्धि होने से आर्थिक रूप से आत्म निर्भर होने पर उन्होंने स्वयं की अपूर्ण पढाई फिर से शुरू कर व्यवसायिक कोर्स जैसे बी.एस.डब्ल्यू. एम.एस.डब्ल्यू. भी किया है। साथ ही बच्चों को अच्छे स्कूल में पढा रहे हैं, दो पहिया, चारपहिया वाहन, कृषि यंत्र आदि खरीदे हैं।

स्वयं का आर्थिक सामाजिक सशक्तिकरण करने के साथ-साथ अपने क्षेत्र में बाल विवाह रोकना, घरेलू हिंसा के विरूद्ध आवाज उठाना, नषा मुक्ति कराना, सामुदायिक विकास के कार्यो की निगरानी, गांव के बेरोजगार युवक युवतियों को रूचि अनुसार रोजगार, स्व-रोजगार प्रशिक्षण दिलाने जैसे काम विभिन्न उप-समितियों के माध्यम से महिलाएँ कर रही हैं। स्व-सहायता समूहों में मिले अवसर का पूरा लाभ उठाते हुए अपनी क्षमता के अनुसार काम करके प्रतिभा प्रदर्शन से मिली अलग पहचान की बदौलत ही महिलाओं ने ग्रामीण क्षेत्र में परिवारिक एवं सामुदायिक सत्ता पर अपना वर्चस्व कायम किया है, जो कि महिलाओं के आर्थिक एवं सामाजिक सषक्तिकरण के जीवंत उदाहरण हैं।

आर.एस. मीणा


Saturday, December 19, 2020

नए कृषि कानूनों से बिचौलियों में हड़कंप- मंत्री पटेल का दावा

Saturday, 19th December 2020 at 20:11 IST

  हरदा के ग्राम धुरगाड़ा में विधेयकों के समर्थन में चौपाल आयोजित 

भोपाल: 19 दिसम्बर 2020:, (मध्यप्रदेश स्क्रीन ब्यूरो)::

भारतीय जनता पार्टी की तरफ से किसानों के आंदोलन का मुकाबला जारी है। इस मकसद के लिए चौपालों का अयिजन भी किया जा रहा है। हाल ही में एक चौपाल हरदा के गांव धुरवाड़ा में भी आयोजित की गई जिसमें किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल भी पहुंचे। 

किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा है कि नवीन कृषि कानूनों से बिचौलियों में हड़कंप मचा है। उन्होंने कहा कि अब तक बिचौलिए किसानों के लाभ को हजम कर जाते थे। इन कानूनों के आने के बाद किसानों को उनका वाजिब हक मिलेगा। श्री पटेल ने यह बात हरदा जिले के ग्राम धुरगाड़ा में नवीन कृषि विधेयकों के समर्थन में आयोजित किसान चौपाल में कहीं।

मंत्री श्री पटेल ने नए कृषि विधेयकों के समर्थन में आयोजित चौपाल में कहा कि विधेयक किसानों के हित में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा लाए गए हैं। इनसे किसानों की आय बढ़ेगी। खेती का उन्नत स्वरूप विकसित होगा। गांव में कृषि आधारित अधोसंरचनात्मक विकास होगा। किसान अपने उद्योग खुद लगा सकेंगे।   वे किसान के साथ-साथ उद्योगपति भी बन सकेंगे। श्री पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के संबोधन से किसानों में सकारात्मकता का भाव आया है। किसान अब आगे बढ़कर नवीन कृषि विधेयकों का समर्थन कर रहे हैं। ग्राम धुरगाड़ा में भी किसानों ने नारे लगाए कि वे नवीन कृषि विधेयकों के मामले में केंद्र और प्रदेश सरकार के साथ हैं। उनका पूरा- पूरा समर्थन नवीन कृषि विधेयकों के लिए है।

           किसान चौपाल में मंत्री श्री पटेल ने किसानों को आश्वस्त किया कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्र में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार किसानों की आय को न सिर्फ दुगुना करेगी बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त और समृद्ध बनाने का हर मुमकिन प्रयास करेगी।


मुख्यमंत्री श्री चौहान को भेंट की गई 'ज्वेल्स ऑफ गुजरात'

 Saturday: 19th December 2020 at 17:38 IST

 मनीष मीडिया जयपुर के चांदमल कुमावत ने लिखी है यह पुस्तक  

भोपाल: शनिवार 19 दिसम्बर 2020:(मध्यप्रदेश स्क्रीन ब्यूरो)::


मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को मनीष मीडिया जयपुर के चेयरमैन श्री चांदमल कुमावत ने अपनी पुस्तक 'ज्वेल्स ऑफ गुजरात' भेंट की। इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री कमल पटेल भी मौजूद थे। श्री कुमावत ने मध्यप्रदेश के 66वें स्थापना दिवस एक नवम्बर 2021 को प्रकाशित हो रही अपनी पुस्तक 'ज्वेल्स ऑफ मध्यप्रदेश' पर चर्चा करते हुए बताया कि इस पुस्तक में दुनिया-भर में बसे मध्यप्रदेश के ऐसे व्यक्तियों की जीवनियाँ होंगी, जिन्हें पढ़कर आने वाली पीढ़ी प्रेरणा प्राप्त कर सकेगी।

मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने किया शहीदों को नमन

Saturday;19th December 2020 at 05:34 PM

 फांसी का रस्सा चूमने वाले वीरों को दी श्रद्धांजलि 


भोपाल: 19 दिसंबर 2020: (मध्यप्रदेश स्क्रीन ब्यूरो):: 

देश की स्वतंत्रता के लिया अपनी जानें न्योछावर करने वालों को स्मरण करने का कर्तव्य मुख्यमंत्री शिवराज चौहान व्यस्त होने के बावजूद नहीं भूले। श्री चौहान ने शहीदों को नमन करने करते हुए अपनी आस्था और श्रद्धा को व्यक्त किया। 

आज निवास कार्यालय सभाकक्ष में शहीद सर्वश्री राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, अशफाक उल्ला खां, रोशन सिंह और पं. राम प्रसाद बिस्मिल के चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित की। मां भारती के इन वीर सपूतों को वर्ष 1925 में हुए काकोरी कांड के बाद फांसी की सजा सुनाई गई थी। श्री राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को 17 दिसम्बर 1927 को और सर्वश्री अशफाक उल्ला खां, रोशन सिंह और पं. राम प्रसाद बिस्मिल को 19 दिसम्बर 1927 को फांसी दी गई थी।

चारों राष्ट्र प्रेमी मित्रों ने स्वतंत्रता और स्वाभिमान के लिए अपने जीवन का बलिदान किया। इसके बाद देश में क्रांतिकारी पहले से ज्यादा लोकप्रिय होने लगे थे। इन चारों सपूतों के बलिदान से युवाओं को देशभक्ति की प्रेरणा मिली। ये वीर सदैव देशवासियों के दिलों में जिंदा रहेंगे। वीर शहीदों के चरणों में कोटिश: नमन!

Saturday, October 31, 2020

राष्ट्रीय एकता दिवस के उपलक्ष में आयोजित मार्चपास्ट

 देशभक्ति गीतों की धुनों से बना विशेष माहौल 


सागर
: 31 अक्टूबर 2020: (मध्य प्रदेश स्क्रीन ब्यूरो)::

सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती के अवसर पर शनिवार को स्थानीय पुलिस प्रशिक्षण मैदान में राज्य पुलिस और अन्य वर्दीधारी बलों तथा अन्य एजेन्सियों द्वारा भव्य मार्चपास्ट का आयोजन किया गया। जिसमें देशभक्ति गानों की धुनें प्रस्तुत की गई। इस अवसर पर कलेक्टर श्री दीपक सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री अतुल सिंह, नगर निगम कमिश्नर श्री आरपी अहिरवार नगर दण्डाधिकारी श्री प्रकाश नायक, डीआईजी श्री वर्मा, उपायुक्त डॉ. प्रणय कमल खरे सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन श्री अरविन्द जैन ने किया।  

Saturday, October 24, 2020

यह बीसवीं-इक्कीसवीं सदी है किसकी !!

 Friday: 23rd  October 2020 at 13:12 IST

  विख्यात गांधीवादी चिंतक और इतिहासकार धर्मपाल की पुण्यतिथि 24 अक्टूबर पर विशेष आलेख  


भोपाल
: 23 अक्टूबर 2020: (मध्यप्रदेश स्क्रीन ब्यूरो)::

पृथ्वी के कष्टों का निवारण करने के लिए अवतार-पुरूष जन्म लिया करते हैं, यह मान्यता भारतवर्ष में अत्यन्त प्राचीन समय से चली आ रही है। इसलिए 1915 में भारत के लोगों ने सहज ही यह मान लिया कि भगवान ने उनका दु:ख समझ लिया है और उस दु:ख को दूर करने के लिए व भारतीय जीवन में एक नया संतुलन लाने के लिए महात्मा गाँधी को भेजा गया है। गाँधीजी के प्रयासों से भारतीय सभ्यता की दास्तान का दु:ख बहुत कुछ कट ही गया, लेकिन भारतीय जीवन में कोई संतुलन नहीं आ पाया। गाँधीजी 1948 के बाद जीवित रहते तो भी इस नए संतुलन के लिए तो कुछ और ही प्रयत्न करने पड़ते।

जो काम महात्मा गाँधी पूरा नहीं कर पाए उसे पूरा करने के प्रयास हमें आगे-पीछे तो आरंभ करने ही पड़ेंगे। आधुनिक विश्व में भारतीय जीवन के लिए भारतीय मानव व काल के अनुरूप कोई नया संतुलन ढूँढें बिना तो इस देश का बोझ हल्का नहीं हो पाएगा और उस नए ठोस धरातल को ढूँढने का मार्ग वही है जो महात्मा गांधी का था। इस देश के साधारणजन के मानस में पैठकर, उसके चित्त व काल को समझकर ही, इस देश के बारे में कुछ सोचा जा सकता है।

पर शायद हमें यह आभास भी है कि भारतीय चित्त वैसा साफ-सपाट नहीं है जैसा मानकर हम चलना चाहते हैं। वास्तव में तो वह सब विषयों पर सब प्रकार के विचारों से अटा पडा़ है और वे विचार कोई नए नहीं हैं। वे सब पुराने ही है। शायद ऋग्वेद के समय से वे चले आ रहे है या शायद गौतम बुद्ध के समय से कुछ विचार उपजे होंगे या फिर महावीर के समय से। पर जो भी ये विचार है जहां से भी वे आए हैं वे भारतीय मानस में बहुत गहरे बैठे हुए हैं। और शायद हम यह बात जानते हैं। लेकिन हम इस वास्तविकता को समझना नहीं चाहते। इसे किसी तरह नकार कर भारतीय मानस व चित्त की सभी वृत्तियों से आंखे मूंदकर अपने लिए कोई एक नई दुनिया हम गढ़ लेना चाहते हैं।

इसलिए अपने मानस को समझने की सभी कोशिशें हमें बेकार लगती हैं। अठारहवीं-उन्नीसवीं सदी के भारत के इतिहास का मेरा अध्ययन भी भारतीय मानस को समझने का एक प्रयास ही था। उस अध्ययन से अंग्रेजों के आने से पहले के भारतीय राज-समाज की भारत के लोगों के सहज तौर-तरीकों की एक समझ तो बनी। समाज की जो भौतिक व्यवस्थाएं होती है, विभिन्न तकनीकें होती है, रोजमर्रा का काम चलाने के जो तरीके होते हैं, उनका एक प्रारूप-सा तो बना पर समाज के अंतर्मन की उसके मानस की चित्त की कोई ठीक पकड़ उस काम से नहीं बन पाई। मानस को पकड़ने का, चित्त को समझने का मार्ग शायद अलग होता है।

हममें से कुछ लोग शायद मानते हों कि वे स्वयं भारतीय मानस, चित्त व काल की सीमाओं से सर्वथा मुक्त हो चुके हैं। अपनी भारतीयता को लाँघकर वे पश्चिमी आधुनिकता या शायद किसी प्रकार की आदर्श मानवता के साथ एकात्म हो गए है। ऐसे कोई लोग है तो उनके लिए बीसवीं सदी की दृष्टि से कलियुग को समझना और भारतीय कलियुग को पश्चिम की बीसवीं सदी के रूप में ढालने के उपायों पर विचार करना संभव होता होगा, पर ऐसा अक्सर हुआ नहीं करता। अपने स्वाभाविक देश-काल की सीमाओं-मर्यादाओं से निकालकर किसी और के युग में प्रवेश कर जाना असाधारण लोगों के बस की भी बात नहीं होती। जवाहरलाल नेहरू जैसों से भी नहीं हो पाया होगा। अपनी सहज भारतीयता से पूरी तरह मुक्त वे भी नहीं हो पाए होंगें। महात्मा गाँधी के कहने के अनुसार भारत के लोगों में जो एक तर्कातीत और विचित्र-सा भाव है, उस विचित्र तर्कातीत भाव का शिकार होने से जवाहरलाल नेहरू भी नहीं बच पाए होगें फिर बाकी लोगों की तो बात ही क्या। वे तो भारतीय मानस की मर्यादाओं से बहुत दूर जा ही नहीं पाते होंगे।

भारत के बड़े लोगों ने आधुनिकता का एक बाहरी आवरण सा जरूर ओढ़ रखा है। पश्चिम के कुछ संस्कार भी शायद उनमें आए है। पर चित्त के स्तर पर वे अपने को भारतीयता से अलग कर पाए हो, ऐसा तो नहीं लगता। हां, हो सकता है कि पश्चिमी सभ्यता के साथ अपने लंबे और घनिष्ठ संबंध के चलते कुछ दस-बीस-पचास हजार, या शायद लाखों लोग, भारतीयता से बिल्कुल दूर हट गए हों। पर यह देश तो दस-बीस-पचास हजार या लाख लोगों का नहीं है। यह तो 125 करोड़ अस्सी करोड़ लोगों की कथा है।

भारतीयता की मर्यादाओं से मुक्त हुए ये लाखों आदमी जाना चाहेंगें तो यहाँ से चले ही जाएँगे। देश अपनी अस्मिता के हिसाब से अपने मानस, चित्त व काल के अनुरूप चलने लगेगा तो हो सकता है इनमें से भी बहुतेरे फिर अपने सहज चित्त-मानस में लौट आएँ। जिनका भारतीयता से नाता पूरा टूट चुका है, वे तो बाहर कही भी जाकर बस सकते हैं। जापान वाले जगह देंगे तो वहाँ जाकर रहने लगेंगे। जर्मनी में जगह हुई जर्मनी में रह लेंगे। रूस में कोई सुंदर जगह मिली तो वहाँ चले जाएंगे। अमेरिका में तो वे अब भी जाते ही हैं। दो-चार लाख भारतीय अमेरिका जाकर बसे ही हैं और उनमें बड़े-बड़े इंजीनियर, डॉक्टर, दार्शनिक, साहित्यकार, विज्ञानविद् और अन्य प्रकार के विद्वान भी शामिल है। पर इन लोगों का जाना कोई बहुत मुसीबत की बात नहीं है। समस्या उन लोगों की नहीं जो भारतीय चित्त व काल से टूटकर अलग जा बसे है। समस्या तो उन करोड़ों लोगों की है जो अपने स्वाभाविक मानस व चित्त के साथ जुड़कर अपने सहज काल में रह रहे है। इन लोगों के बल पर देश को कुछ बनाना है तो हमें उस सहज चित्त, मानस व काल को समझना पडे़गा।

भारतीय वर्तमान के धरातल से पश्चिम की बीसवीं सदी का क्या रूप दिखता है, उस बीसवीं सदी और अपने कलियुग में कैसा और क्या संपर्क हो सकता है, इस सब पर विचार करना पडे़गा। यह तभी हो सकता है जब हम अपने चित्त व काल को, अपनी कल्पनाओं व प्राथमिकताओं को और अपने सोचने-समझने व जीने के तौर-तरीकों को ठीक से समझ लेंगे।

(संदर्भ - धर्मपाल समग्र लेखन भाग-1 से साभार)


Thursday, October 22, 2020

हम किसी और के संसार में रहने लगे है ....

Thursday: 22nd October 2020, 14:41 IST 

जनसाधारण की भागीदारी  से ही सम्भव है असली  विकास प्रक्रिया   


भोपाल:  22 अक्टूबर 2020: (*धर्मपाल//मध्यप्रदेश स्क्रीन)::

भारतीय मानस में सृष्टि के विकास के क्रम और उसमें मानवीय प्रयत्न और मानवीय ज्ञान-विज्ञान के स्थान की जो छवि अंकित है, वह आधुनिकता से इस प्रकार विपरीत है तो इस विषय पर गहन चिंतन करना पड़ेगा। यहां के तंत्र हम बनाना चाहते हैं और जिस विकास प्रक्रिया को यहां आरंभ करना चाहते हैं, वह तो तभी यहां जड़ पकड़ पाएगी और उसमें जनसाधारण की भागीदारी तो तभी हो पायेगी जब वह तंत्र और विकास प्रक्रिया भारतीय मानस और काल दृष्टि के अनुकूल होगी। इसलिए इस बात पर भी विचार करना पडे़गा कि व्यवहार में भारतीय मानस पर छाए विचारों और काल की भारतीय समझ के क्या अर्थ निकलते है? किस प्रकार के व्यवहार और व्यवस्थाएं उस मानस व काल में सही जँचते हैं? सम्भवत: ऐसा माना जाता है कि मानवीय जीवन और मानवीय ज्ञान की क्षुद्रता का जो भाव भारतीय सृष्टि-गाथा में स्पष्ट झलकता है, वह केवल अकर्मण्यता को ही जन्म दे सकता है पर यह तो बहुत सही बात है। किसी भी विश्व व काल दृष्टि का व्यवाहारिक पक्ष तो समय सापेक्ष होता है। अलग-अलग संदर्भों में अलग-अलग समय पर उस दृष्टि की अलग-अलग व्याख्याएं होती जाती हैं। इन व्याख्याओं से मूल चेतना नहीं बदलती पर व्यवहार और व्यवस्थाएं बदलती रहती हैं और एक ही सभ्यता कभी अकर्मण्यता की और कभी गहन कर्मठता की ओर अग्रसर दिखाई देती है।

भारतीय परंपरा में किसी समय विधा और ज्ञान का दो धाराओं में विभाजन हुआ है। जो विधा इस नश्वर सतत परिवर्तनशील, लीलामयी सृष्टि से परे के सनातन ब्रह्म की बात करती है। उस ब्रह्म से साक्षात्कार का मार्ग दिखाती है वह परा विधा है। इसके विपरीत जो विधाएं इस सृष्टि के भीतर रहते हुए दैनंदिन की समस्याओं के समाधान का मार्ग बतलाती हैं। साधारण जीवन-यापन को संभव बनाती हैं। वे अपरा विधाएं है। और ऐसा माना जाता है कि परा विधा, अपरा विधाओं से ऊँची है।

अपरा के प्रति हेयता का भाव शायद भारतीय चित्त का मौलिक भाव नहीं है। मूल बात शायद अपरा की हीनता की नहीं थी। कहा शायद यह गया था कि अपरा में रमते हुए यह भूल नहीं जाना चाहिए कि इस नश्वर सृष्टि से परे सनातन सत्य भी कुछ है। इस सृष्टि में दैनिक जीवन के विभिन्न कार्य करते हुए परा के बारे में चेतन रहना चाहिए। अपरा का सर्वदा परा के आलोक में नियमन करते रहना चाहिए। अपरा विधा की विभिन्न मूल संहिताओं में कुछ ऐसा ही भाव छाया मिलता है। पर समय पाकर परा से अपरा के नियमन की यह बात अपरा की हेयता में बदल गई है। यह बदलाव कैसे हुआ इस पर तो विचार करना पडे़गा। भारतीय मानस व काल के अनुरूप परा और अपरा में सही संबंध क्या बैठता है, इसकी भी कुछ व्याख्या हमें करनी ही पड़ेगी।

पर यह ऊँच-नीच वाली बात तो बहुत मौलिक नहीं दिखती। पुराणों में इस बारे में चर्चा है। एक जगह ऋषि भारद्वाज कहते है कि यह ऊँच-नीच वाली बात कहां से आ गई? मनुष्य तो सब एक ही लगते है, वे अलग-अलग कैसे हो गए? महात्मा गाँधी भी यही कहा करते थे कि वर्णो में किसी को ऊँचा और किसी को नीचा मानना तो सही नहीं दिखता। 1920 के आस-पास उन्होंने इस विषय पर बहुत लिखा और कहा। पर इस विषय में हमारे विचारों का असंतुलन जा नहीं पाया। पिछले हजार दो हजार वर्षों में भी इस प्रश्न पर बहस रही होगी। लेकिन स्वस्थ वास्तविक जीवन में तो ऐसा असंतुलन चल नहीं पाता। वास्तविक जीवन के स्तर पर परा व अपरा के बीच की दूरी और ब्राह्मण व शूद्र के बीच की असमानता की बात भी कभी बहुत चल नहीं पाई होगी। मौलिक साहित्य के स्तर पर भी इतना असंतुलन शायद कभी न रहा हो। यह समस्या तो मुख्यत: समय-समय पर होने वाली व्याख्याओं की ही दिखाई देती है।

पुरूष सूक्त में यह अवश्य कहा गया है कि ब्रह्म के पांवों से शूद्र उत्पन्न हुए, उसकी जंघाओं से वैश्य आए, भुजाओं से क्षत्रिय आए और सिर से ब्राह्मण आए। इस सूक्त में ब्रãह्म और सृष्टि में एकरूपता की बात तो है। थोड़े में बात कहने का जो वैदिक ढंग है उससे यहाँ बता दिया गया है कि यह सृष्टि ब्रह्म का ही व्यास है, उसी की लीला है। सृष्टि में अनिवार्य विभिन्न कार्यो की बात भी इसमें आ गई है। पर इस सूक्त में यह तो कहीं नहीं आया कि शूद्र नीचे है और ब्राह्मण ऊँचे है। सिर का काम पांवों के काम से ऊँचा होता है। यह तो बाद की व्याख्या लगती है। यह व्याख्या तो उलट भी सकती है। पांवों पर ही तो पुरूष धरती पर खडा़ होता है। पांव टिकते हैं तो ऊपर धड़ भी आता है हाथ भी आते हैं। पांव ही नहीं टिकेंगें तो और भी कुछ नहीं आएगा। पुरूष सूक्त में यह भी नहीं है कि ये चारों वर्ण एक ही समय पर बने। पुराणों की व्याख्या से तो ऐसा लगता है कि आरंभ में सब एक ही वर्ण थे। बाद में काल के अनुसार जैसे-जैसे विभिन्न प्रकार की क्षमताओं की आवष्यकता होती गई, वैसे-वैसे वर्ण-विभाजित होते गए।

कर्म और कर्मफल के इस मौलिक सिद्धांत का इस विचार से तो कोई संबंध नहीं है कि कुछ कर्म अपने आप में निकृष्ट होता है और कुछ प्रकार के काम उत्तम। वेदों का उच्चारण करना ऊँचा काम होता है और कपडा़ बुनना नीचा काम, यह बात तो परा-अपरा वाले असंतुलन से ही निकल आई है। और इस बात की अपने यहाँ इतनी यांत्रिक-सी व्याख्या होने लगी है कि बड़े-बड़े विद्वान भी दरिद्रता, भुखमरी आदि जैसी सामाजिक अव्यवस्थाओं को कर्मफल के नाम पर डाल देते हैं। श्री ब्रह्मा नंद सरस्वती जैसे जोशीमठ के ऊँचे शंकराचार्य तक कह दिया करते थे कि दरिद्रता तो कर्मो की बात है। करूणा, दया, न्याय आदि जैसे भावों को भूल जाना तो कर्मफल के सिद्धांत का उद्देश्य नहीं हो सकता। यह तो सही व्याख्या नहीं दिखती।

कर्मफल के सिद्धांत का अर्थ तो शायद कुछ और ही है। क्योंकि कर्म तो सब बराबर ही होते हैं। लेकिन जिस भाव से, जिस तन्मयता से कोई कर्म किया जाता है वही उसे ऊँचा और नीचा बनाता है। वेदों का उच्चारण यदि मन लगाकर ध्यान से किया जाता है तो वह ऊँचा कर्म है। उसी तरह मन लगाकर ध्यान से खाना पकाया जाता है तो वह भी ऊँचा कर्म है। और भारत में तो ब्राह्मण लोग खाना बनाया ही करते थे। अब भी बनाते हैं। उनके वेदोच्चारण करने के कर्म में और खाना बनाने में बहुत अंतर है। पर वेदोच्चारण ऐसा किया जाए जैसे बेगार काटनी हो, या खाना ऐसे बनाया जाये जैसे सिर पर पड़ा कोई भार किसी तरह हटाना हो, तो दोनो की कर्म गडबड़ हो जाएंगे।

परा-अपरा और वर्ण व्यवस्था पर भी अनेक व्याख्याऐं होंगी। उन व्याख्याओं को देख-परखकर आज के संदर्भ में भारतीय मानव व काल की एक नई व्याख्या कर लेना ही विद्वता का उददेश्य हो सकता है। परंपरा का इस प्रकार नवीनीकरण करते रहना मानस को समयानुरूप व्यवहार का मार्ग दिखाते रहना ही हमेशा से ऋषियों, मुनियों और विद्वानों का काम कर रहा है।

*धर्मपाल एक विख्यात विचारक होने के साथ साथ गांधीवादी चिंतक भी हैं 

Monday, August 31, 2020

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दूसरे दिन भी किया हवाई निरीक्षण

Bhopal: Sunday: 30th August 2020 at15:53 IST
 होशंगाबाद, सीहोर, रायसेन, देवास, हरदा और विदिशा जिलों के जलमग्न क्षेत्र का लिया जायजा 
भोपाल: रविवार: 30 अगस्त 2020: (मध्यप्रदेश स्क्रीन ब्यूरो)::
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हेलीकाप्टर से निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज दूसरे दिन पुन: प्रदेश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कल जहां होशंगाबाद, सीहोर, रायसेन के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र देखे थे, वहीं आज फिर से होशंगाबाद, सीहोर और रायसेन जिलों के साथ ही देवास, हरदा और विदिशा जिले के जलमग्न क्षेत्रों को देखा।
कलेक्टर्स से ली विस्तृत जानकारी
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने संबंधित जिला कलेक्टर्स से दूरभाष पर चर्चा कर प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति, प्रभावित जनसंख्या, कोई जनधन क्षति यदि हुई हो और मवेशियों, फसलों एवं अन्न भण्डार की सुरक्षा के संबंध में विस्तार से जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज प्रात: मुख्यमंत्री निवास में उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक कर पूरे प्रदेश में अतिवर्षा से जनजीवन पर पड़े प्रभाव और राहत कार्यों के संबंध में जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री श्री चौहान इसके पश्चात छह जिलों के बाढ़ प्रभावित इलाकों के हेलीकाप्टर द्वारा निरीक्षण के लिए रवाना हुए।
आपदा प्रबंधन दल सक्रिय हैं, जनता भी सावधान रहे
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कलेक्टर्स को निर्देश दिए हैं कि वे संकट की इस स्थिति में प्रभावित लोगों की पूरी सहायता के लिए सक्रिय रहें। निचली बस्तियों में पानी के भराव की स्थिति को देखते हुए समय रहते नागरिकों को अन्य स्थानों पर शिफ्ट किया जाए। नियंत्रण कक्ष सक्रियता से कार्य करें। जहां आवश्यक हो तत्काल पुलिस, होमगार्ड, सेना और आपदा प्रबंधन दल की सहायता प्राप्त की जाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में किए गए सुरक्षा प्रबंधनों की जानकारी भी प्राप्त की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आपात स्थिति से निपटने के लिए गोताखोर, बोट, हेलीकाप्टर आदि के पुख्ता इंतजाम हैं। जिन क्षेत्रों में सड़कों पर पुल-पुलियों पर बाढ़ का पानी है, उसे पार करने का प्रयास न किया जाए। जनता स्वयं भी सावधान रहे और पिकनिक स्थलों पर जाने से भी लोग बचें। बांधों का जलस्तर बढ़ने से गेट खोलने की सूचना दी जाती है लेकिन बहुत से लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते। आम नागरिकों की सहायता के लिए राज्य सरकार तत्पर है। लेकिन आमजन का सजग रहना बहुत आवश्यक है। जिलों में पदस्थ आपदा प्रबंधन दल हर तरह के संकट में लोगों की सहायता के लिए तैयार हैं।

Sunday, August 30, 2020

CM चौहान ने बाढ़ वाले गणेशजी से बाढ़ उतरने की प्रार्थना की

Bhopal: Sunday: 30th  August 2020 at 20:54 IST
विदिशा पहुँचकर सपत्नीक पूजा-अर्चना की
*निवास पर भी प्रतिदिन सपरिवार करते हैं श्री गणेश पूजन
*पत्नी श्रीमती साधना सिंह ने निवास पर सजाई हैं विशेष गणेश झाकियां
भोपाल: 30 अगस्त 2020: (मध्यप्रदेश स्क्रीन ब्यूरो)::
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान आज बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के हवाई सर्वे के दौरान विदिशा पहुंचे तथा वहां 'बाढ़ वाले गणेश मंदिर' पहुंचकर पत्नी श्रीमती साधना सिंह सहित विघ्न विनाशक मंगलकारी श्री गणेशजी की पूजा-अर्चना की। श्री चौहान ने गणेशजी से प्रार्थना की कि प्रदेश में बाढ़ जल्दी उतरे तथा हर व्यक्ति सुरक्षित रहे। श्री गणेश बाढ़ सहित प्रदेश पर आए हर संकट को दूर करें तथा सभी का मंगल करें। श्री चौहान ने मंदिर पर आयोजित भंडारे में सर्वप्रथम सपत्नीक कन्याओं का पूजन किया तथा उन्हें भोजन कराया। इसके बाद स्वयं सपत्नीक प्रसाद ग्रहण किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान प्रतिदिन अपने निवास पर विराजित श्री गणेशजी का सपरिवार पूजन करते हैं। गणेश उत्सव के दौरान मुख्यमंत्री की पत्नी श्रीमती साधना सिंह द्वारा मुख्यमंत्री निवास में भगवान श्री गणेश की विशेष झांकियां सजाई गई हैं। इन झांकियों में शिव बारात, शिव पार्वती विवाह, भगवान गणेश द्वारा शिव परिक्रमा, शिव पार्वती परिवार सहित आदि सजाई गई हैं। मुख्यमंत्री की पत्नी श्रीमती साधना सिंह  विगत अनेक वर्षों से गणेश उत्सव के दौरान भगवान गणपति के लिए छप्पन भोग का प्रसाद अपने हाथों से बनाकर लगाती हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज भी अपने पूरे परिवार के साथ निवास पर विराजित भगवान श्री गणेश का पूरे विधि विधान के साथ पूजन-अर्चन किया तथा प्रार्थना की कि प्रदेश में आई बाढ़ और कोरोना संकट  को शीघ्र समाप्त करें, प्रदेश की जनता की समृद्धि खुशहाली के लिए आशीर्वाद दें तथा सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें।

Thursday, June 25, 2020

स्व-सहायता समूह आदिवासी क्षेत्रों में भी सक्रिय हुए

गुरूवार जून 25, 2020, 19:00 IST
प्रवासी मजदूरों को इन्हीं के माध्यम से मिलेगा रोज़गार
भोपाल: 25 जून 2020: (मध्यप्रदेश स्क्रीन ब्यूरो)::
प्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में प्रवासी आदिवासी मजदूरों और महिलाओं को स्व-सहायता समूह की गतिविधियों से जोड़कर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जाने के प्रयास किये जायेंगे। इसके लिये केन्द्रीय जनजातीय मंत्रालय ने प्रदेश की 65 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है। यह जानकारी प्रमुख सचिव, आदिम-जाति कल्याण श्रीमती पल्लवी जैन गोविल की अध्यक्षता में मंत्रालय में हुई बैठक में दी गई। प्रमुख सचिव ने विभिन्न जिलों के अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चर्चा की। बैठक में संचालक, आदिवासी क्षेत्रीय विकास योजना सुश्री शैलबाला मॉर्टिन, ग्रामीण आजीविका मिशन, मेपसेट, कौशल विकास और बैंकर्स भी मौजूद थे।
प्रमुख सचिव, आदिम-जाति कल्याण श्रीमती गोविल ने बताया कि प्रदेश में रोजगार सेतु एप के माध्यम से प्रवासी मजदूरों के कौशल के अनुसार सर्वे किया गया है। इसके माध्यम से उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जायेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास किये जायें, जिससे प्रवासी मजदूरों और उनके परिवार को जल्द से जल्द आर्थिक लाभ मिलना शुरू हो जायें। प्रमुख सचिव ने बताया कि आदिवासी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में शैक्षणिक संस्थान हैं। इनमें होने वाली गतिविधियों से भी स्व-सहायता समूहों को जोड़ा जा सकता है।
बैठक में पशु एवं मत्स्य-पालन, पोल्ट्री फार्म, डेयरी से जुड़ी अन्य गतिविधियों, खाद्य प्र-संस्करण, रेशम और मधुमक्खी-पालन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित किये जाने पर चर्चा की गई। बैठक में बताया गया कि सीधी जिले में 31 हजार से अधिक प्रवासी श्रमिक जिले में लौटे हैं। धार जिले में करीब 34 हजार प्रवासी मजदूर जिले में लौटे हैं। इन्हें रोजगार से जोड़ने के लिये मनरेगा में सर्वे का कार्य किया गया है। आयुक्त, आदिम-जाति कल्याण श्री बी. चन्द्रशेखर ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में पूर्व में तैयार शेड का उपयोग इन गतिविधियों से जोड़ने के लिये किया जा सकता है। बैठक में जिला अधिकारियों को योजना के संबंध में प्रस्ताव देने के निर्देश दिये गये।

Sunday, June 14, 2020

कोरोना संक्रमण में मध्यप्रदेश अब देश में 8वें स्थान पर आया

रविवार 14 जून 2020, को 19:40 IST
 एक दिन में एक्टिव प्रकरणों में 151 की कमी आई, 300 मरीज ठीक हुए 
*सभी पैरामीटर्स में उल्लेखनीय सुधार
*रिकवरी रेट अब 71.1 प्रतिशत, डबलिंग रेट 34 दिन
*मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कोरोना की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा की
भोपाल: रविवार 14 जून 2020: (मध्यप्रदेश स्क्रीन ब्यूरो)
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोरोना संक्रमण में प्रदेश की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। अब प्रदेश पूरे देश में आठवें स्थान पर आ गया है। प्रदेश के सभी कोरोना पैरामीटर्स में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। एक्टिव प्रकरणों में एक दिन में 151 की कमी आई है तथा 300 मरीज स्वस्थ होकर घर गए हैं। अब हमारे एक्टिव प्रकरणों की संख्या 2666 है। हमारी डबलिंग रेट बढ़कर 34.1 दिन तथा रिकवरी रेट 71.1 प्रतिशत हो गई है। यह प्रदेश के लिए बहुत अच्छे संकेत हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मंत्रालय में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में कोरोना की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, डीजीपी श्री विवेक जौहरी, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री मोहम्मद सुलेमान उपस्थित थे।
रिकवरी रेट में मध्यप्रदेश भारत में दूसरे स्थान पर
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि रिकवरी रेट में मध्यप्रदेश भारत में दूसरे स्थान पर है। म.प्र. की रिकवरी रेट 71.1 प्रतिशत हो गई है, जबकि भारत की 50.6 प्रतिशत है। राजस्थान की सर्वाधिक 75.3 प्रतिशत है। गुजरात की 68.9, उत्तरप्रदेश की 60 तथा तमिलनाडु की 54.8 प्रतिशत है।
कोरोना संक्रमण में म.प्र. अब आठवें स्थान पर
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि कोरोना संबंधी पैरामीटर्स में सुधार के बाद कोरोना संक्रमण में मध्यप्रदेश भारत में अब 8वें स्थान पर आ गया है। म.प्र. में 10641 कोरोना पॉजिटिव प्रकरण है। सर्वाधिक कोरोना प्रकरण महाराष्ट्र में 1,04,568, इसके बाद तमिलनाडु में 42,687, दिल्ली में 38,958, गुजरात में 23,038, उत्तरप्रदेश में 13,118, राजस्थान में 12,401 तथा पश्चिम बंगाल में 10,698 कोरोना पॉजीटिव प्रकरण हैं।
म.प्र. की डबलिंग रेट भारत में सबसे कम
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण की पूरे देश में मध्यप्रदेश में सबसे धीमी गति है। हमारी डबलिंग रेट 34.1 दिन है, जबकि भारत की 18.4 दिन है। गुजरात की 30.2 दिन, राजस्थान की 26.7 दिन, महाराष्ट्र की 21 दिन तथा उत्तरप्रदेश की 18.6 दिन है।
प्रभारी अधिकारी रोज मॉनीटरिंग करें
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कोरोना की मॉनीटरिंग के लिए जिलेवार वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभारी अधिकारी बनाया गया है। वे  रोज सुबह उठते ही तथा रात में सोने से पहले अपने जिले में कोरोना की स्थिति की मानीटरिंग करें, संबंधित कलेक्टर्स को मार्गदर्शन दें तथा इसकी रिपोर्ट दें।
कोरोना की मृत्यु दर को न्यूनतम करना है
बैठक में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि प्रदेश में कोरोना की मृत्यु दर को न्यूनतम करना है। इसके लिए सभी कोविड अस्पतालों में सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित की जाए। ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल का पूरा पालन किया जाए तथा हर मरीज पर विशेष ध्यान दिया जाए।
जनता को जागरूक करना आवश्यक
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि लॉकडाउन खुलने के बाद अब जनजीवन सामान्य हो रहा है। अत: लोगों को जागरूक करना आवश्यक है कि वे सभी आवश्यक सावधानियां बरतें। मास्क लगाना, दो गज की दूरी रखना, इधर-उधर नहीं थूकना,  बार बार साबुन से हाथ धोना, सैनेटाईजर का उपयोग आदि सभी आवश्यक है। जागरूकता फैलाने के लिए  जनसहयोग लिया जाए।
प्रदेश के सर्वाधिक संक्रमित शहरों में अब भोपाल नहीं
एसीएस हेल्थ श्री मो. सुलेमान ने बताया कि भारत के सर्वाधिक संक्रमित 15 शहरों में प्रदेश का इंदौर शहर सातवें स्थान पर है। इस सूची में पूर्व में भोपाल भी शामिल था परंतु अब भोपाल इनमें नहीं है।

Saturday, May 23, 2020

मध्यप्रदेश में फिर से लोकप्रिय हो रहा है सागौन का उत्पादन

 कोई जवाब नहीं सागौन की मज़बूती और खूबसरती का 
इंदौर: 23 मई 2020: (मध्यप्रदेश स्क्रीन हिंदी डेस्क)::
कोरोना युग में जीवन शैलियाँ बदल रही हैं। अब जहां ज़िंदगी जहां नए रुख अख्तियार करेगी और उसे खूबसरत बनाने के नए अंदाज़ भी बाजार में निकलेंगे वहीँ जीवन यापन के ढंग तरीकों में भी तब्दीली आएगी। अब कृषि पहले जैसी न रहेगी। वन विभाग, इन्दौर की टिश्यू कल्चर लेब में आधुनिकतम तकनीक से सागौन के उच्च गुणवत्ता वाले जो पौधे तैयार किये जा रहे है उनके उत्पादन से तो यही संकेत मिलता है।  
आप जानते हैं न सागौन? यह टीकवुड द्विबीजपत्री पौधा है। हराभरा पर्यावरण चाहते हैं तो सागौन से दोस्ती कीजिये। यकीन मानिये मन भी हराभरा ही रहेगा। यह चिरहरित यानि वर्ष भर हरा-भरा रहने वाला पौधा है। इनके क्षेत्र में या इनके आसपास रहने से माहौल हराभरा रहेगा ही। यह काफी लम्बा चौड़ा होता है। सागौन का वृक्ष प्रायः 80 से 100 फुट लम्बा होता है। कभी कभी से ज़्यादा भी हो सकता है। इसका वृक्ष काष्ठीय होता है। इसकी लकड़ी हल्की, मजबूत और काफी समय तक चलनेवाली होती है। इसलिए मज़बूती के मामले में भी सका कोई जवाब नहीं होता। इसके पत्ते काफी बड़े बड़े होते हैं।  साथ ही फूल उभयलिंगी और सम्पूर्ण होते हैं। हर काल में लगातार लोक प्रिय बने रहे सागौन का वानस्पतिक नाम टेक्टोना ग्रैंडिस (Tectona grandis) यह बहुमूल्य इमारती लकड़ी है। सदियों से इसके इस्तेमाल को पहल दी जाती है। इसका इतिहास भी काफी लम्बा है। 
सागौन को संस्कृत में 'शाक' कहा जाता है।  लगभग दो सहस्र वर्षों से भारत में यह ज्ञात है और अधिकता से व्यवहृत होती आ रही है। वर्बीनैसी (Verbenaceae) कुल का यह वृहत्‌, पर्णपाती वृक्ष है। यह शाखा और शिखर पर ताज ऐसा चारों तरफ फैला हुआ होता है। भारत, बरमा और थाइलैंड का यह देशज है, पर फिलिपाइन द्वीप, जावा और मलाया प्रायद्वीप में भी बहुतायत में पाया जाता है। भारत में अरावली पहाड़ में पश्चिम में पूर्वी देशांतर अर्थात  झांसी तक में भी पाया जाता है। इसकी लोकप्रियता का अनुमान यहाँ से लगाइये कि असम और पंजाब में भी यह सफलता से उगाया गया है। साल में 50 इंच से अधिक वर्षा वाले और25° से 27° सें. ताप वाले स्थानों में यह अच्छा उपजता है। इसके लिए तीन हज़ार फुट की ऊँचाई के जंगल अधिक उपयुक्त हैं। इससे इसे बहता हुआ पानी आसानी से दिया जा सकता है। खासियत यह भी कि सब प्रकार की मिट्टी में यह उपज सकता है पर पानी का निकास रहना अथवा अधोभूमि का सूखा रहना आवश्यक है। गरमी में इसकी पत्तियाँ अक्सर ही  झड़ जाती हैं। गरम स्थानों में जनवरी में ही पत्तियाँ गिरने लगती हैं पर अधिकांश स्थानों में मार्च तक पत्तियाँ हरी रहती हैं। पत्तियाँ एक से दो फुट लंबी और 6 से 12 इंच चौड़ी होती है। इसका लच्छेदार फूल सफेद या कुछ नीलापन लिए सफेद होता है और बहुत ही सुंदर लगता है। इसके बीज गोलाकार होते हैं और पक जाने पर गिर पड़ते हैं। बीज में तेल रहता है। बीज बहुत धीरे-धीरे अँकुरते हैं। पेड़ साधारणतया 100 से  150 फुट ऊँचे और धड़ 3 से 8 फुट व्यास के होते हैं। डोर से देखो तो इनका कद एक अलग किस्म की दिव्य भव्यता का निर्माण करता महसूस होता है।  
इसकी औषधीय खूबियां भी बहुत हैं। इसके धड़ की छाल आधा इंच मोटी, धूसर या भूरे रंग की होती है। इनका रसकाष्ठ सफेद और अंत:काष्ठ हरे रंग का होता है। अंत:काष्ठ की गंध सुहावनी और प्रबल सौरभ वाली होती है। गंध बहुत दिनों तक कायम रहती है। इसकी छाल और फूल दोनों ही विभिन्न दवाएं बनाने के काम आते हैं। 
सागौन की लकड़ी बहुत अल्प सिकुड़ती और बहुत मजबूत होती है। इस पर पॉलिश जल्द चढ़ जाती है जिससे यह बहुत आकर्षक हो जाती है। कई सौ वर्ष पुरानी इमारतों में यह ज्यों की त्यों पाई गई है। दो सहस्र वर्षों के पश्चात्‌ भी सागौन की लकड़ी अच्छी अवस्था में पाई गई है। सागौन के अंत:काष्ठ को दीमक आक्रांत नहीं करती यद्यपि रसकाष्ठ को खा जाती है।
सागौन उत्कृष्ट कोटि के जहाजों, नावों, बोंगियों इत्यादि भवनों की खिड़कियों और चौखटों, रेल के डिब्बों और उत्कृष्ट कोटि के फर्नीचर के निर्माण में प्रधानतया प्रयुक्त होता है।
अच्छी भूमि पर दो वर्ष पुराने पौद (sudling), जो ५ से १० फुट ऊँचे होते हैं, लगाए जाते हैं और लगभग 60 वर्षों में यह औसत 60  फुट का हो जाता है और इसके धड़ का व्यास डेढ़ से दो फुट का हो सकता है। अब इसे जलवायु का ही प्रभाव कहा जा सकता है कि बरमा में 80 वर्ष की उम्र के सागौन पेड़ का घेरा 2 फुट व्यास का हो जाता है, यद्यपि भारत में इतना मोटा होने में 200 वर्ष लग सकते हैं। भारत के ट्रावनकोर, कोचीन, मद्रास, कुर्ग, मैसूर, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के जंगलों के सागौन की उत्कृष्ट लकड़ियाँ अधिकांश बाहर चली जाती हैं। बरमा का सागौन पहले पर्याप्त मात्रा में भारत आता था पर अब वहाँ से ही बाहर चला जाता है। थाईलैंड की लकड़ी भी पाश्चात्य देशों को चली जाती है हालांकि इसकी मांग भारत में कम नहीं है लेकिन विदेश से अधिक धन मिल जाता है। अब इसकी पैदावार बढ़ाने पर भी तीव्रता से विचार हो रहा है। 

Wednesday, May 20, 2020

विभिन्न प्रदेशों से लौटे 4 लाख 63 हजार श्रमिक

Wednesday: 20th May 2020 at 15:55 IST
107 ट्रेनों से 1 लाख 35 हज़ार आये औरड़क मार्ग से 3 लाख 28 हजार 
भोपालबुधवार, मई 20, 2020 को 15:55 बजे: (मध्यप्रदेश स्क्रीन)
कोरोना संकट के कारण विभिन्न प्रदेशों में फँसे 4 लाख 63 हजार श्रमिक अब-तक प्रदेश में लाये जा चुके हैं। अपर मुख्य सचिव एवं प्रभारी स्टेट कंट्रोल रूम आईसीपी केशरी ने जानकारी दी है कि 107 ट्रेनो से करीब एक लाख 35 हजार और सड़क मार्ग से लगभग 3 लाख 28 हजार श्रमिक वापस आएं है।
श्री केशरी ने बताया कि 20 मई तक गुजरात से एक लाख 93 हजार, राजस्थान से एक लाख, महाराष्ट्र से एक लाख 7 हजार श्रमिकों के साथ ही गोवा, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, केरल आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु एवं तेलंगाना से भी श्रमिका आऐ हैं।
125 ट्रेन का रिक्विजिशन भेजा गया
श्री केशरी ने बताया है कि अब तक 125 ट्रेनों का रिक्विजिशन भेजा गया है। दिनांक 20 मई को सात ट्रेन विभिन्न स्थानों पर आयी। कल 21 मई को 6 ट्रेन आ रही है। अभी-तक महाराष्ट्र से 32, गुजरात से 27, हरियाणा से 16, तेलंगाना से 7, पंजाब से 5, कर्नाटक से 3, गोवा से 3, केरल, राजस्‍थान और दिल्ली से दो-दो तथा तमिलनाडु एवं जम्मू से एक-एक ट्रेन आ चुकी है।
श्रमिकों को उत्तरप्रदेश सीमा तक पहुँचाने 850 बसें और लगी
प्रदेश की सीमा पर आ रहे अन्य प्रदेशों के श्रमिकों को बस से उत्तरप्रदेश की सीमा तक पहुँचाने के लिये आज से 850 बसें और लगा दी गई है।

Monday, May 4, 2020

मदिरा एवं भांग दुकानों के संचालन की 5 मई से नई व्यवस्था

Monday: 4th May 2020 at 15:34 IST
 भोपाल, इंदौर एवं उज्जैन जिलों में बंद रहेगी मदिरा एवं भांग की बिक्री 
भोपाल: सोमवार: 4 मई  2020: (मीडिया लिंक रविन्द्र//मध्यप्रदेश स्क्रीन):: 
कोरोना को नज़र में रख कर बनाई गयी नयी व्यवस्था  
कोरोना भी बढ़ रहा है और नशे की तलब भी। हालांकि शराब इत्यादि से सरकारों को काफी आमदनी होती है इसके बावजूद राज्य की सरकार ने इसकी बिक्री की आज्ञा सभी जगहों पर नहीं दी। इसके लिए बाकायदा एक विशेष चार्ट जारी किया गया है जो कोरोना की रफ्तार को नजर में रखते हुए बना गया है। 
राज्य शासन ने प्रदेश में नोवल कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मदिरा एवं भांग दुकानों के संचालन की जोनवार वर्गीकृत जिलों में नई व्यवस्था 5 मई से लागू की है।
नई व्यवस्था के मुताबिक प्रदेश में रेड जोन में आने वाले भोपाल, इंदौर एवं उज्जैन जिलों में मदिरा एवं भांग की समस्त दुकानें आगामी आदेश तक बंद रहेंगी। रेड जोन के अन्य जिलों जबलपुर, धार, बड़वानी, पूर्वी निमाड़(खण्डवा), देवास एवं ग्वालियर जिलों के मुख्यालय की शहरी क्षेत्रों की दुकानों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों की मदिरा एवं भांग की दुकानें संचालित की जाएंगी। ऑरेंज जोन के अंतर्गत आने वाले खरगौन, रायसेन, होशंगाबाद, रतलाम, आगर-मालवा, मंदसौर, सागर, शाजापुर, छिन्दवाड़ा, अलीराजपुर, टीकमगढ़, शहडोल, श्योपुर, डिण्डौरी, बुरहानपुर, हरदा, बैतूल, विदिशा, मुरैना एवं रीवा के कंटेनमेंट एरिया को छोड़कर शेष मदिरा एवं भांग दुकानें संचालित की जाएंगी। ग्रीन जोन के अंतर्गत आने वाले जिलों की सभी मदिरा एवं भांग दुकानों का संचालन प्रारंभ किया जाएगा।
सभी लायसेंसियों को निर्देशित किया गया है कि वे दुकानों पर गृह मंत्रालय, भारत सरकार तथा वाणिज्यिक कर विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा जारी एसओपी और दो गज की दूरी का पालन भी सुनिश्चित करें।

Sunday, May 3, 2020

श्रमिकों की वापसी के लिए 31 रेलगाड़ियों की मांग

Sunday: 3rd May 2020 at 18:39 IST
अब तक 59 हजार श्रमिकों की वापसी 
भोपाल: रविवार, मई 3, 2020, 18:39 IST: (मध्यप्रदेश स्क्रीन)::
कोरोना संक्रमण के कारण अन्य प्रदेशों में फंसे मध्यप्रदेश के श्रमिकों की वापसी का क्रम लगातार जारी है। अब तक 59000 श्रमिक प्रदेश में वापस लाए जा चुके हैं। विभिन्न प्रदेशों में फँसे श्रमिकों को वापस लाने के लिए रेल मंत्रालय से 31 ट्रेनों की मांग की गई है।
 अपर मुख्य सचिव और प्रभारी स्टेट कंट्रोल रूम श्री आई.सी.पी. केसरी ने जानकारी दी है कि आज गुजरात से लगभग 4000 श्रमिक वापस लाए गए। प्रदेश के विभिन्न जिलों में फँसे प्रदेश के करीब 42000 श्रमिकों को पिछले 8 दिनों में उनके ग्रह स्थान पहुँचाया गया है। तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक आदि राज्यों से श्रमिकों को वापस लाने के लिए चर्चाएँ जारी हैं। महाराष्ट्र, गोवा, हरियाणा और गुजरात के लिए ट्रेन मूवमेंट एवं रूट की जानकारी तैयार की जा रही है। रेल मंत्रालय और संबंधित राज्यों को रेलगाड़ियों के लिए मांग पत्र भेजा गया है।

Saturday, April 25, 2020

क्रिश्चियन समाज की सिस्टर्स बना रहीं मास्क

Saturday: 25th April 2020 at 18:17 IST
स्थानीय मनो-विकास समर्थ सेंटर में दीखता है मानवता से प्रेम का दृश्य 
भोपाल: शनिवार 25 अप्रैल 2020: (मीडिया लिंक//मध्यप्रदेश स्क्रीन)::
उज्जैन में क्रिश्चियन समाज की सिस्टर्स मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों की देखभाल करने के साथ-साथ मास्क बनाने और जरूरतमंदों तक मास्क पहुंचाने का काम कर रही हैं। स्थानीय मनो-विकास समर्थ सेंटर में  रहने वाले 8-10 मानसिक दिव्यांग बच्चे  लॉकडाउन के कारण अपने घर नही जा सके हैं। समर्थ सेंटर, पुष्पा मिशन हॉस्पिटल, सेंट मेरी कॉन्वेंट स्कूल आदि में  सेवारत  सिस्टर्स ने इस बच्चों की देखभाल करते हुए अभी तक 1000 से अधिक मास्क बनाये हैं।
सिस्टर्स द्वारा बनाये गए मास्क बिशप सेबास्टियन वडकेल ने पुलिस विभाग के अधिकारियों को सौपे हैं। क्रिश्चियन समाज इस सेवा कार्य के साथ ही जरूरतमंद गरीब परिवारों को खाद्यान्न सामग्री भी वितरित कर रहा है। बिशप वड़क्केल ने बताया कि समाज की कृपा वेलफेयर सोसायटी, मध्यप्रदेश विकलांग सहायता समिति एवं निर्मला चर्च चंदेस्सेरी की सिस्टर्स ने इस काम में  भरपूर योगदान दिया है।  सर्वधर्म समभाव की भावना के साथ संकट की इस घड़ी में उज्जैन धर्मप्रान्त के क्रिश्चियन समाज का यह योगदान शहर के लिये मिसाल बन गया है।

Thursday, April 23, 2020

मध्यप्रदेश:अब 14 लैब में 2000 टेस्ट प्रतिदिन

23rd April 2020 at 19:12 IST
सभी जिलों में प्रशासन पूरी सावधानी रखे ताकि संक्रमण ना फैले
भोपाल: गुरूवार, 23 अप्रैल 2020: (मध्यप्रदेश स्क्रीन ब्यूरो)::
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सभी जिलों में लॉक डाउन प्रभावी रहे, सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन हो। संक्रमित क्षेत्र पूरी तरह बंद रहे तथा वहाँ पूरी सावधानी रखी जाए, जिससे संक्रमण बिल्कुल भी ना फैले। जिलों में चल रहे रबी उपार्जन कार्य एवं सौदा पत्रक के माध्यम से रबी फसलों की खरीदी में यह सुनिश्चित किया जाए कि व्यापारी किसानों से हम्माली की राशि ना वसूलें, उन्हें सौदे की पूरी राशि प्राप्त होनी चाहिए। श्री चौहान मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सभी जिलों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कोरोना नियंत्रण की व्यवस्थाओं एवं रबी उपार्जन कार्य की समीक्षा कर रहे थे। मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, पुलिस महानिदेशक श्री विवेक जौहरी, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री मोहम्मद सुलेमान एवं सचिव जनसम्पर्क श्री पी. नरहरि उपस्थित थे।
आवश्यक वस्तुओं, पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करें
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि सभी जिलों में आवश्यक वस्तुओं एवं साफ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। उन्होंने बताया कि सभी जिलों को 3 माह का उचित मूल्य राशन भिजवाया जा चुका है। सभी पात्र उपभोक्ताओं को इसका तुरंत वितरण कराया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राशन कार्ड के अलावा भी, प्रदेश के 32 लाख जरूरतमंद व्यक्तियों के लिए राशन पहुंचाया गया है, उसका भी तुरंत वितरण सुनिश्चित किया जाए।
क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की बैठकें हों निरंतर
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रत्येक जिले में गठित आपदा प्रबंधन समूह की बैठक नियमित रूप से आयोजित की जाए तथा इसमें जिले में कोरोना संक्रमण की स्थिति एवं इस पर नियंत्रण व्यवस्थाओं की निरंतर समीक्षा हो। इस कार्य में क्षेत्र के जन-प्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों तथा जनता का पूरा सहयोग लिया जाए।
उज्जैन पर दें विशेष ध्यान
अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य  ने बताया कि उज्जैन में कोरोना प्रकरणों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। गत 22 अप्रैल को किए गए 173 टेस्ट में से 43 टेस्ट पॉजिटिव आए हैं। ये सारे प्रकरण संक्रमित क्षेत्रों के ही हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि वहां विशेष ध्यान दिए जाने तथा निगरानी किए जाने की आवश्यकता है। 
अब 14 लैब में 2000 टेस्ट प्रतिदिन
अपर मुख्य सचिव श्री मोहम्मद सुलेमान ने बताया कि अब प्रदेश में कोरोना टेस्ट के लिए 14 लैब ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। यहाँ इनमें प्रतिदिन लगभग 2,000 टेस्ट किये जा रहे हैं। प्रदेश में शिवपुरी एवं छिंदवाड़ा जिलों में 17 दिन से कोई कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया है। मुरैना में 12 दिन से तथा आगर जिले में 11 दिन से कोई भी कोरोना पॉजिटिव प्रकरण नहीं पाया गया है।
किसानों के खातों में जल्दी पहुंचे पैसा
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने रबी उपार्जन की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि गेहूं उपार्जन की राशि किसानों के खातों में शीघ्र पहुंचाया जाना सुनिश्चित किया जाए। प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि 200 करोड़ रूपये से अधिक की राशि इसके लिए बैंकों को भिजवा दी गई है। शीघ्र ही किसानों के खातों में पैसा पहुंच जाएगा।  प्रदेश में अभी तक 9 लाख 70 हजार मी. टन गेहूं का समर्थन मूल्य पर उपार्जन किया जा चुका है। इसमें से दो लाख 35 हज़ार मीट्रिक टन का परिवहन भी हो गया है।
केन्द्रीय दल कोरोना नियंत्रण व्यवस्थाओं एवं सौदा पत्रक सिस्टम की सराहना
सचिव जनसम्पर्क श्री पी. नरहरि ने बताया कि केन्द्रीय दल ने प्रदेश में कोरोना नियंत्रण की व्यवस्थाओं की सराहना की है। केन्द्रीय दल ने मध्यप्रदेश में इस बार सौदा पत्रक व्यवस्था के माध्यम से व्यापारियों द्वारा किसानों के घर से ही उनका गेहूँ खरीदे जाने की व्यवस्था को भी सराहा है। वर्तमान लॉक डाउन के दौरान यह कार्य अत्यंत सराहनीय है। समीक्षा में बताया गया कि प्रदेश में मंडियों में खरीदे गए गेहूँ में से 83 प्रतिशत गेहूँ, 60% चना तथा 68% सरसों की खरीदी सौदा पत्रक व्यवस्था के माध्यम से हुई है।

लॉकडाउन में भी लाउड स्पीकर से घर-घर पहुँचा स्कूल

 22nd April 2020 at 22:37 IST
आकाशवाणी पर शुरू किये गये 'रेडियो स्कूल'' कार्यक्रम दिखाया कमाल 
भोपाल:बुधवार 22 अप्रैल 2020: (मध्यप्रदेश स्क्रीन ब्यूरो)::
कोरोना ने पूरी दुनिया में ज़िंदगी की शैली ही बदल डाली। हर क्षेत्र में पूरी तब्दीली आई। दिलचस्प बात यह भी कि इन तब्दीलियों को स्वीकार करना ही एकमात्र रास्ता था। और कोई विकल्प ही नहीं था। इन तब्दीलियों का असर शिक्षा के क्षेत्र में भी दिखा। परीक्षा के लिए तैयार बैठे बच्चों को लगने लगा कि इस बार तो सब चौपट हो गया। बच्चों की पढ़ाई और शिक्षा के इस सत्र को बचाने के लिए आकाशवाणी के स्कूल कार्यक्रम को जरिया बनाया गया। आकाशवाणी के जादू ने बच्चों पर भी असर दिखाया। शिक्षा के क्षेत्र में भी कोरोना से जंग लड़ने का यह बिलकुल ही अनूठा प्रयोग था। आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने के साथ साथ पुरानी तकनीक का भी सदुप्योग किया गया। गांव के बच्चे बच्चे तक इसका जादू पहुंचा और इसे बेहद पसंद भी किया गया। हर घर तक स्कूल खुद जा पहुंचा। सोशल डिस्टेंसिंग के नियम को बरकरार रखते हुए स्कूल ने बच्चों को पढ़ाई शुरू करवा दी। लोग खुश भी हुए और हैरान भी। जैसे ही आवाज़ गूंजती उनके चेहरों पर मुस्कराहट सी आ जाती। 
इस तरीके को लागू करने की कहानी भी बहुत दिलचस्प है। कोरोना संक्रमण में शिक्षकों एवं पालकों की बच्चों की पढ़ाई की चिंता को दूर करने के लिये सीहोर जिले में लाउड स्पीकर से  हर रोज़ पढ़ाई कराने की पहल की है। नसरूल्लागंज विकासखण्ड के शैक्षिक समन्वयक श्री संतोष धनवारे को जमुनिया बाजयाफ्त गाँव के शासकीय प्राथमिक स्कूल के बरामदे के एक कोने में रखे लाउड स्पीकर को देखकर यह आईडिया आया। उन्होंने तय किया कि लाउड स्पीकर से प्रत्येक बच्चे तक गत एक अप्रैल से आकाशवाणी पर शुरू किये गये 'रेडियो स्कूल'' कार्यक्रम को पहुँचाया जाये। उनका यह प्रयोग पूरी तरह सफल भी रहा। आज यह बेहद लोकप्रिय भी है। 
आकाशवाणी ने एक बार फिर से अपना जादू जगाया है। गाँव के बच्चों के साथ-साथ उनके घर के बड़े बुजुर्ग और अन्य सदस्य भी यह कार्यक्रम सुनते हैं। रेडियो स्कूल कार्यक्रम को इस तरह हर घर तक निर्बाध रूप से पहुँचाने पर ग्रामीणों ने श्री संतोष धनवारे के प्रयास की सराहना की है। एक बार फिर से लोग रेडियो की तरफ तेज़ी से आकर्षित हो रहे हैं। 
चकल्ली जन शिक्षा केन्द्र के गाँव जामुनिया बाजयाफ्त के इस प्रयोग को विकासखंड शैक्षिक समन्वयक संतोष धनवारे ने जन शिक्षा केन्द्र और विकासखंड के अन्य शिक्षकों से भी साझा किया है। नतीजन आज चकल्ली जन शिक्षा केन्द्र के ही ग्राम नांदियाखेड़ा डावा, आमदो, खापा और बनीगाँव सहित लगभग 20 स्कूलों में सुबह 11 बजे से 12 बजे तक शैक्षिक कार्यक्रम 'रेडियो स्कूल' का प्रसारण लाउड स्पीकर पर रोजाना गूंजता है। कहीं स्कूल के चोंगे से, तो कहीं गाँव के बीचो-बीच किसी घर की दालान में रखे साउंड-बॉक्स से बच्चे नियमित रूप से कार्यक्रम सुन रहे हैं और पढ़ रहे हैं। लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए रेडियो स्कूल कार्यक्रम से अब इन गाँवों के हर घर में हर रोज लगता है स्कूल।--इनपुट:बबीता मिश्रा

Tuesday, April 21, 2020

राज्यपाल श्री टंडन ने पाँच मंत्रियों को दिलाई शपथ

21st April 2020 at 13:05 IST
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान भी इस अवसर पर उपस्थित रहे 
राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने आज यहां राजभवन में सादे समारोह में कुमारी मीना सिंह को कैबिनेट मंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई
भोपाल: मंगलवार 21 अप्रैल 2020: (मध्य प्रदेश स्क्रीन ब्यूरो)::
राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने आज राजभवन में राज्य मंत्री-मण्डल के पाँच मंत्रियों डॉ. नरोत्तम मिश्रा, श्री तुलसी सिलावट, श्री कमल पटेल, श्री गोविंद सिंह राजपूत और सुश्री मीना सिंह को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री बी.डी.शर्मा, विधायकगण, अन्य जन-प्रतिनिधि और पुलिस महानिदेशक श्री विवेक जौहरी उपस्थित थे।
शपथ ग्रहण समारोह राजभवन के सांदीपनि सभागार में गरिमापूर्वक आयोजित किया गया। मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस ने शपथ ग्रहण समारोह की कार्यवाही का संचालन किया।
राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने आज यहां राजभवन में सादे समारोह में कुमारी मीना सिंह को कैबिनेट मंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। (21/अप्रैल/2020)

Thursday, March 26, 2020

मुख्यमंत्री श्री चौहान को सहायता कोष के लिये एक करोड़ रूपये

Friday:26th 2020 at 20:28 IST
एक करोड़ रूपये भेंट किये वर्धमान टेक्सटाइल्स ने
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को वर्धमान टेक्सटाईल्स लिमिटेड के मध्यप्रदेश के डायरेक्टर श्री यशपाल ने कोरोना से बचाव कार्यों के लिए मुख्यमंत्री  सहायता कोष में सहयोग स्वरूप एक करोड़ रूपये का चैक भेंट किया 
भोपाल: गुरूवार 26 मार्च 2020: (मध्यप्रदेश स्क्रीन ब्यूरो):: 
कोरोना का कहर टूटा तो आम जनता में करुणा का सागर भी उमड़ पड़ा। मध्यप्रदेश के लिए इस राज्य के सामर्थ्यवान लोगों ने भी अपने खज़ाने खोल दिए। इसी संबंध में एक जानीमानी कम्पनी वर्धमान टैक्सटाइल्स ने मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए एक करोड़ रूपये भेंट किये। आशा है कि अन्य लोग भी इस मकसद के लिए शीघ्रता से आगे आएंगे। 
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को  कोरोना से बचाव कार्यों के लिए वर्धमान टेक्सटाइल्स, बुदनी के डायरेक्टर श्री यशपाल  ने मुख्यमंत्री सहायता कोष में जनसहयोग स्वरूप एक करोड़ रुपए का चैक भेंट किया। उल्लेखनीय है कि एचईजी लिमिटेड द्वारा हाल ही में मुख्यमंत्री सहायता कोष में एक करोड़ रूपये की राशि दी जा चुकी है। आयटीएम यूनिवर्सिटी, ग्वालियर द्वारा मुख्यमंत्री सहायता कोष में 11 लाख रूपये का योगदान दिया गया है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अन्य संस्थाओं, औद्योगिक प्रतिष्ठानों और समर्थ वर्ग से अपील की है कि वे इस आपदा से बचाव के प्रयासों में अपना आर्थिक सहयोग मुख्यमंत्री सहायता कोष में प्रदान करें। सीएम रिलीफ फंड के भारतीय स्टेट बैंक के खाता क्रमांक 10078152483 (IFSC कोड SBIN0001056) में राशि दी जा सकती है।