Monday, May 7, 2018

राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल आज ओंकारेश्वर में

ज्योर्तिलिंग के दर्शन किये और पूजा-अर्चना की
भोपाल: सोमवार, मई 7, 2018, 17:58 IST (मध्य प्रदेश स्क्रीन ब्यूरो):: 

विदेशी संस्कृति के तेज़ होते हमलों के बावजूद स्वदेशी नेताओं ने अपनी संस्कृति और धर्म को नहीं छोड़ा। आज भी श्रद्धा का सिलसिला जारी है। राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल ने आज उसी श्रद्धा भावना से ओंकारेश्वर में ज्योर्तिलिंग के दर्शन किये और पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर श्रीमती पटेल ने मंदिर में किये गये विकास कार्यों का अवलोकन भी किया।

श्रीमती पटेल को मंदिर समिति द्धारा स्मृति-चिन्ह भी भेंट किया गया। पूजा अर्चना के इस शुभ अवसर पर राज्यपाल ने सैलानी टापू भ्रमण भी किया। श्रीमती पटेल की इस धार्मिक यात्रा से यह अवसर एक और यादगारी दिन बन गया। 

Thursday, May 3, 2018

कृषि से आमदनी बढ़ाने को किसानों ने अपनाई आधुनिक तकनीक

लगातार 5 वर्षो से उन्हें मुनाफा ही मिल रहा है
भोपाल: गुरूवार, मई 3, 2018, 16:32 IST
प्रदेश में किसान अब अपनी आय बढ़ाने के लिये कृषि विशेषज्ञों की मदद से नई-नई तकनीक अपना रहे हैं। इससे किसानों के जीवन-स्तर में काफी बदलाव आया है।
पन्ना जिले के ग्राम अहिरगुवा के किसान अग्निमित्र शुक्ला के पास तीन हेक्टेयर सिंचित रकबा हैं। इस वर्ष  अग्निमित्र को दो एकड़ में चने का लगभग दो गुना उत्पादन मिला है। उन्होंने बताया कि पूर्व वर्षों की तुलना में 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के स्थान पर 34 क्विंटल प्रति हेक्टेयर चने का उत्पादन प्राप्त हुआ है। किसान अग्निमित्र बताते हैं कि वे पिछले 7-8 वर्षों से चने की खेती कर रहे हैं। उन्होंने अपने खेत में विभिन्न किस्मों के चने की बोनी की। इन सबके बावजूद उन्हें कभी भी 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक चने का उत्पादन प्राप्त नहीं हुआ। इस संबंध में उन्होंने वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से चर्चा की।  कृषि विभाग की चना क्‍लस्टर प्रदर्शन योजना के अंतर्गत अग्निमित्र को चने का जे.जी.-63 प्रजाति का 60 किलो बीज दिया गया। उन्होंने इस बीज को दो एकड़ में बोया, कृषि अधिकारियों की सलाह पर खेत में मृदा स्वास्थ्य कार्ड की अनुशंसा पर उर्वरक भी डाला। इससे बीज का अंकुरण और पौधों की बढ़त भी अच्छी हुई। कृषि की इस तकनीक को अपनाने से इन्हें 34 क्विंटल प्रति हेक्टेयर चने का उत्पादन प्राप्त हुआ है। आज वे इस तकनीक को अपने किसान साथियों को बताते हैं तो वे आश्चर्यचकित रह जाते हैं। अब क्षेत्र के अन्य किसानों ने भी चने की जे.जी.-63 प्रजाति को अपनाने का मन बना लिया है।
खरगोन जिले की कसरावद तहसील के किसान महेंद्र पाटीदार ने उद्यानिकी विभाग के सहयोग से नींबू का बगीचा तो लगा लिया, लेकिन पानी की समस्या ने उनकी चिंता बढ़ा दी थी। ऐसे समय में नव-विवाहित महेंद्र ने अपनी पत्नि को साथ लेकर, बैलगाड़ी पर कोठी बाँधकर एक-एक पौधे को कढ़ी धूप में पानी देकर सिंचाई की पाँच वर्षो के बाद नींबू को पहली फसल आई। पहली फसल से कोई खास मुनाफा तो नहीं हुआ, मगर अंतरवर्ती फसलों कपास, गेहूँ और सोयाबीन के सहारे उनको मुनाफा होता रहा। इसके लगातार बाद 5 वर्षो से उन्हें मुनाफा ही मिल रहा है। अब अग्निमित्र क्षेत्र के प्रतिशील किसान की श्रेणी में भी शामिल हो गये है।
उद्यानिकी विभाग से किसान महेंद्र को एक हेक्टेयर में मल्चिंग शीट के लिए 10 हजार रुपए की सब्सिडी भी मिली। इसके बाद महेंद्र ने मल्चिंग विधि से तरबूज की खेती की और एक लाख 29 हजार 600 रुपए खर्च कर 5 लाख 70 हजार 567 रुपए का शुद्ध मुनाफा लिया। महेंद्र ने मात्र 80 दिनों की तरबूज की फसल में 75 हजार 960 किलोग्राम तरबूज की फसल ली। कृषि और उद्यानिकी विभाग के जानकार बताते हैं कि निमाड़ में मल्चिंग विधि से तरबूज की फसल सफलतापूर्वक लेने वाले महेंद्र पहले किसान हैं। अब महेंद्र कृषि की नई-नई तकनीकों को अपनाकर अलग-अलग प्रयोग करने में जुट गए हैं।
सक्सेस स्टोरी (पन्ना, खरगोन)
मुकेश मोदी

Saturday, February 10, 2018

पहन लो जैकेट अगर बिजली नहीं तो क्या हुआ

MP में शिक्षकों के लिए विशेष ड्रेस कोड की जैकेट 
भोपाल: 10 फरवरी 2018: (मध्य प्रदेश स्क्रीन ब्यूरो//इंट.)::
"डिजिटल इंडिया" और "विकास" के इस युग में प्राथमिकताएं बदल रही हैं। कभी जनाब दुष्यंत कुमार साहिब ने कहा था:
भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ; 
आजकल दिल्ली में है ज़ेर-ए-बहस ये मुदद्आ। 
अब जबकि प्रदेश में बहुत सी बातें विकास करने वालों का ध्यान मांग रही हैं उस समय कुछ नए ऐलान सामने आ रहे हैं। 
एक ऐलान सुनने में आया है कि मध्य प्रदेश के शिक्षकों को अब नया ड्रेस कोड मिलने वाला है। शिक्षकों को "नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी"(निफ्ट) की तरफ से डिजाइन की गई जैकेट दी जाएंगी।  उनकी शख्सियत में निखार आएगा और वे सचमुच राष्ट्र निर्माता दिखने लगेंगे। आम जनता के मुद्दों से जुड़ कर काम कर रहे एक जानेमाने टीवी चैनल एनडीटीवी की खबर के मुताबिक मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री विजय शाह ने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि शिक्षकों को महसूस हो कि वे एक महान कार्य कर रहे हैं और उनकी पहचान सरकारी शिक्षक के तौर पर हो सके। इस फैसले मुताबिक राज्य में करीब ढाई लाख सरकारी शिक्षकों को जल्द ही ये जैकेट मुहैया कराई जाएंगी। राज्य के शिक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि सभी शिक्षकों को निफ्ट की तरफ से डिजाइन की गई जैकेट पहननी होंगी, जैकेट पर राष्ट्र निर्माता नाम की नेमप्लेट भी लगी होगी। 
गौररतलब है कि यह सरकारी आदेश ऐसे समय आया है जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने पिछले वर्ष यह स्वीकार किया था कि राज्य में एक लाख से ज्यादा स्कूलों में बिजली नहीं है, 17 हजार से ज्यादा स्कूल में केवल एक-एक शिक्षक पर निर्भर हैं और करीब 50 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं।
इसी बीच कांग्रेस पार्टी ने इसकी आलोचना की है और कहा है की वास्तविक मुद्दों पर दशा देने की बजाये ड्रेस कोड जैसे मुद्दे प्राथमिक बना कर एक ख़ास विचारधारा को लागू करने का छुपा एजेंडा है यह योजना। गौरतलब है कि यह प्रयास काफी देर से जारी है।  डाक बाबुओं के लिए भी विशेष ड्रेस बनाने की बात चली थी। 
अब लगे हाथ दुष्यंत कुमार साहिब की ग़ज़ल के कुछ और शेयर भी पढ़ लीजिये। 
भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ 
आजकल दिल्ली में है ज़ेर-ए-बहस ये मुदद्आ ।
मौत ने तो धर दबोचा एक चीते कि तरह 
ज़िंदगी ने जब छुआ तो फ़ासला रखकर छुआ । 
गिड़गिड़ाने का यहां कोई असर होता नही 
पेट भरकर गालियां दो, आह भरकर बददुआ । 
क्या वज़ह है प्यास ज्यादा तेज़ लगती है यहाँ 
लोग कहते हैं कि पहले इस जगह पर था कुँआ । 
आप दस्ताने पहनकर छू रहे हैं आग को 
आप के भी ख़ून का रंग हो गया है साँवला । 
इस अंगीठी तक गली से कुछ हवा आने तो दो 
जब तलक खिलते नहीं ये कोयले देंगे धुँआ । 
दोस्त, अपने मुल्क की किस्मत पे रंजीदा न हो 
उनके हाथों में है पिंजरा, उनके पिंजरे में सुआ । 
इस शहर मे हो कोई बारात हो या वारदात 
अब किसी भी बात पर खुलती नहीं हैं खिड़कियाँ ।