Friday, July 12, 2024

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सुश्री आशा मालवीय के साहस को सराहा

Thursday 11th July 2024 at 17:57 IST

साइकिल से कारगिल जा रही है आशा मालवीय 

*कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती 26 जुलाई को कारगिल पहुंचेगी सुश्री आशा

*एकल महिला साइकिलिस्ट को प्रोत्साहन स्वरूप एक लाख रूपए देने के निर्देश


भोपाल
: गुरूवार: 11जुलाई 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//मध्यप्रदेश स्क्रीन डेस्क)::

महिलाओं की भावनाएं पुरुषों से कहीं भी काम नहीं होती। इतिहास गवाह है कि देश भक्ति  क़ुरबानी के मामले में महिलाएं बढ़ चढ़ कर अपने देश प्रेम का अपने कामों और अपनी कुर्बानियों  से करती रही हैं। अब इस आधुनकि युग में भी यह सिलसिला कम नहीं हुआ। अगर आज भी बहुत सी महिलाएं फ़िल्मी दुनिया और फैशन की तरफ अग्रसर हैं तो देश की तरफ लगाव रखने वाली  महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। एकल साइकिलिस्ट सुश्री आशा मालवीय इसी की नई मिसाल बन कर सामने आई हैं। 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आगामी 26 जुलाई को आने वाली कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती के लिए कन्याकुमारी से कारगिल-सियाचिन जा रही एकल साइकिलिस्ट सुश्री आशा मालवीय को प्रोत्साहन स्वरूप एक लाख रुपए उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इस वित्तीय सहयोग से जहां आशा मालवीय का हिम्मत और हौंसला बढ़ेगा वहीं अन्य महिलाओं को भी इससे प्रेरणा मिलेगी। 

राजगढ़ जिले के ग्राम नाटाराम की निवासी सुश्री आशा "सशक्त सेना-समृद्ध भारत" के उद्देश्य से कन्याकुमारी से साइकिल यात्रा आरंभ कर भोपाल आईं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव से साइकिलिस्ट सुश्री आशा मालवीय ने समत्व भवन में भेंट की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सुश्री आशा का पुष्पगुच्छ भेंटकर व कैप पहनाकर अभिवादन किया और स्पोर्ट्स किट भेंट की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने एकल साइकिलिस्ट सुश्री आशा के साहस की प्रशंसा करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य और लक्ष्य प्राप्ति में सफलता की कामना की। 

राष्ट्रीय खिलाड़ी व एकल महिला साइकिलिस्ट सुश्री आशा ने "महिला सुरक्षा-महिला सशक्तिकरण" के उद्देश्य से संपूर्ण भारत में अब तक 26 हजार किलोमीटर की एकल साइकिल यात्रा की है।  की और कितनी युवाएं और महिलाएं आशा मालवीय से प्रेरणा पा कर इसी तरह के रस्ते तलाश करती हैं।                        

Friday, June 14, 2024

आम नहीं खास हैं मप्र के आम

Thursday:13th June 2024 at 14:58

 मध्यप्रदेश में भी है आम का हज़ारों बरस पुराना इतिहास 


भोपाल
: 13 जून 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//मध्य प्रदेश स्क्रीन डेस्क)::

क्या इस पहेली को आप एक पल में बूझ सकते हैं? यह जनजातीय समाज में बुजुर्ग अपने पोते-पोतियो से पूछते हैं। इसका सही जवाब है-आम। यह ईश्वरीय फल है। इसका स्वाद शब्दों में बता पाना मुश्किल है। भारत में करीब 1500 किस्म का आम होता है। इनमें से कुछ प्रकार बेहद लोकप्रिय है और आम लोगों की जवान पर चढ़े है। अल्फांसो, बॉम्बे ग्रीन, चौसा दशहरा, लंगड़ा, केसर, नीलम, तोतापरी मालदा, सिंदूरी, बादामी, हापुस, नूरजहां, कोह-ए-तूर के नाम अक्सर लोग लेते हैं। इनमें मध्यप्रदेश के आमों का जिक्र खास है।

मध्यप्रदेश के आम बहुत खास है। यदि कहें कि मध्यप्रदेश में “आम पर्यटन” के रूप में पर्यटन की नई शाखा सामने आई है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। आलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा का नूरजहां आम खाना तो दूर इसे देखने तक लोग दूर-दूर से आते हैं। आम आने से पहले ही एक-एक फल की बुकिंग हो जाती है। एक आम का वजन 500 ग्राम से लेकर 2 किलो तक हो सकता है। बारह इंच तक लंबा हो सकता है। स्वाद लाजवाब है। आम जब इतना खास हो जाए कि इसे देखने लोग तरस जाएं तो आम पर्यटन की संभावनाएं बढ़ जाती है। जनवरी में फूल आना शुरू होते हैं और फरवरी के आखिर तक पेड़ फूलों से लद जाता है। जून के आखिर तक फलों से भर जाता है। इसका पौधा अफगानिस्तान से गुजरात होते हुए मध्य प्रदेश आया। कट्ठीवाड़ा में ही 37 किस्में देखी जा सकती है। पेड़ की ऊंचाई 60 फीट तक होती है। एक पेड़ में 100 के करीब आम निकल आते हैं। इस प्रकार करीब 350 आम पांच पेड़ों से मिल जाता है। एक आम 500 रूपए से लेकर 2000 तक बिक जाता है।

सुंदरजा आम भी बहुत लोकप्रिय है 

पिछले साल रीवा के गोविंदगढ़ में होने वाले सुंदरजा आम को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग मिला। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने खुश होकर ट्वीट साझा किया था। वर्ष 1968 में सुंदरजा पर डाक टिकट जारी हो चुका है। सुंदरजा आम देखने में जितना सुंदर है स्वाद में उतना ही लाजवाब है। इसकी सुगंध मदहोश करने वाली है। बारिश की पहली फुहार के बाद यह पकता है। 

गोविंदगढ़ के वातावरण में ही यह पनपता है क्योंकि यहां मिट्टी और तापमान दोनों का विशेष महत्व है सुंदरजा पेड़ को फलने-फूलने के लिए। इसकी पत्तियां , छाल गुठलियां सब काम आती है। यह एंटीऑक्सीडेंट है। विटामिन-ए, विटामिन-सी और आयरन से भरपूर है। शक्कर की मात्रा कम होती है इसलिए मधुमेह के मरीज भी इसे पसंद करते हैं। सुंदरजा रीवा जिले और पूरे मध्य प्रदेश की भी पहचान बन गया है। एक जिला एक उत्पादक परियोजना में सुंदरजा को शामिल किया गया है। रीवा के फल अनुसंधान केंद्र कठुलिया में आम पर आगे रिसर्च लगातार चल रही है। यहां विभिन्न किस्मों के आम के 2345 पेड़ हैं। इनमें बॉम्बे ग्रीन, इंदिरा, दशहरा, लंगड़ा, गधुवा, आम्रपाली, मलिका मुख्य है।

बाणसागर की नहर के कारण इस क्षेत्र में खेती विकसित हो गई है। साथ ही उद्यानिकी फसलों की पैदावार भी बढ़ी है। इसी के साथ खाद्य प्रसंस्करण लघु उद्योगों की भी भरपूर संभावनाएं बनी है। गोविंदगढ़ क्षेत्र में ही आम के कई बाग है। यहां करीब 237 किस्म के आम मिल जाते है। सभी स्वाद में एक दूसरे से बढ़कर है। यहां से फ्रांस, अमेरिका, इंग्लैंड और अरब देशों को आम निर्यात होता है।

जबलपुर का मियाजाकी आम सबसे महंगा भी स्वाद भी 

जबलपुर में सबसे महंगे आम मियाजाकी ने स्वाद की दुनिया में धूम मचा दी है। एक आम की कीमत 20000 रूपये तक पहुंच जाती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तीन लाख रूपये किलो तक कीमत मिल जाती है। यह लाल रंग का होता है। एक आम 900 ग्राम से लेकर डेढ़ किलो तक का होता है। यह जापान की किस्म है जो थाईलैंड, फिलिपींस में भी होती है। जापान में इसे सूर्य का अंडा कहते हैं। जबलपुर में 1984 से इसका उत्पादन हो रहा है। इसे पकाने के लिए गर्म मौसम और बारिश दोनों की जरूरत होती है। जबलपुर से सटे डगडगा हिनौता गांव में इन आमों को दूर से देखा जा सकता है। यहां आम के पेड़ कड़ी सुरक्षा में रहते हैं। इसके मालिकों की सारी ऊर्जा पेड़ों की सुरक्षा में लग जाती है। मध्यप्रदेश से अब बांग्लादेश अरब, यूके, कुवैत, ओमान और बहरीन देशों को आम का निर्यात हो रहा है।

आम का इतिहास हज़ारों साल पुराना 

आम फल का इतिहास करीब 5000 सालों का है। यह इंडो वर्मा रीजन में पैदा हुआ और पूर्वी भारत और दक्षिण चीन तक पूरे साउथ एशिया में विस्तार से मिलता था। वर्ष 1498 में जब पुर्तगाली कोलकाता में उतरे तो उन्होंने आम का व्यापार स्थापित किया। आम ट्रॉपिकल और सब ट्रॉपिकल जलवायु में अच्छा फलता है। प्राथमिक रूप से यह ब्राज़ील, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला, हैती, मेक्सिको, पेरू में भी पाया जाता है।

आम का इतिहास बताता है कि अंग्रेजी का मेंगो शब्द मलयालम के “मंगा” और तमिल के “मंगाई” से बना है। आम की टहनियों को जोड़कर तरह-तरह की नई किस्में पैदा करने की कला पुर्तगालियों की देन है। जैसे अल्फांसो का नाम एक सैन्य विशेषज्ञ अल्बुकर्क के नाम पर रखा गया। भारत आए चीनी यात्री व्हेन सांग ने दुनिया को बताया कि भारत देश में आम का फल होता है। मौर्य काल में आम के पेड़ रोड के किनारे लगाए जाते थे जिन्हें समृद्धि का प्रतीक माना जाता था।

आम का पेड़ 60 फीट तक ऊंचा हो सकता है और 4 से 6 साल में ही आम देने लगता है। आम का पेड़ पत्तियों से कार्बन डाइऑक्साइड सोख लेता है और इसका उपयोग अपने तने, शाखों के लिए करता है। इसलिए आम की पत्तियों को शादियों के मंडपो, घरों में तोरण के रूप में लगाई जाती हैं।

मप्र में उत्पादन लगातार बढ़ रहा है 

मध्यप्रदेश में पिछले 8 सालों के आम उत्पादन, क्षेत्र और उत्पादकता के आंकड़ों का अध्ययन करने से पता लगता है कि आम फल का उत्पादन और क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2016-17 में उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 13.03 मीट्रिक टन थी जो 2023-24 में बढ़कर 14.66 हो गई है। इसी प्रकार 2016-17 में आम का क्षेत्र 43609 हेक्टेयर थाहो गयाजो अब बढ़कर 64216 हो गया है। इसी दौरान उत्पादन 5,04,895 मेट्रिक टन था जो अब बढ़कर 9,41, 352 मीट्रिक टन हो गया है।

अब देखना है कि मध्यप्रदेश के आम को देश के किस किस कोने में ले जा कर आम की नई किस्में पैदा  करने के नए प्रयास होंगें! 

Sunday, December 3, 2023

विधानसभा निर्वाचन-2023:ग्वलियर में भी दिखा मोदी का जादू

रविवार 03 दिसम्बर 2023 को  21:53 बजे 

जिले के सभी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के चुनाव परिणाम घोषित

ग्वालियर: रविवार,  03 दिसम्बर 2023: (मध्य प्रदेश स्क्रीन ब्यूरो//चुनाव डेस्क)::

इस बार के इन विधानसभा चुनावों के परिणामों पर सभी की नज़र थी। इन परिणामों को 2024  के चुनावों सेमीफाइनल ही मन जा रहा था। मध्यप्रदेश और राजस्थान प् र सियासी लोगों की विशेष निगाहें थीं।  आसान।  फिर भी भाजपा की जीत अब बहुत से नए संकेत दे रही है। कांग्रेस प्रमुख श्री मल्लिकार्जुन खड़गे  परिणामों के दौरान ही जब सब कुछ स्पष्ट होने लगा था तो की विशेष बैठक  कर दी थी। छह दिसंबर  को विपक्षी दल  परिणामों पर विचार करते हुए अपनी नई रणनीति तय करेंगे। ज़ाहिर है श्री खड़गे लम्बे समय से राजनीति  महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियां  हैं। वह इस नई चुनौती का सामना भी करेंगे।

इस बार भी चुनावी परिणामों की तरफ सभी लोग निगाहें लगा कर बैठे थे। देश भर में सबसे अधिक उत्साह  गया भारतीय जनता पार्टी में। भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित कार्यक्रम के तहत रविवार 3 दिसम्बर को ग्वालियर जिले की सभी 6 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के मतों की गिनती यहाँ एमएलबी कॉलेज में विधानसभा क्षेत्रवार बनाए गए मतगणना कक्षों में की गई। गिनती के बाद संबंधित रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा चुनाव परिणाम घोषित किए गए। साथ ही विजयी प्रत्याशियों को कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री अक्षय कुमार सिंह एवं संबंधित प्रेक्षक गणों की मौजूदगी में रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा विजयी प्रत्याशियों को निर्वाचित होने के प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। 

विधानसभा निवा्रचन क्षेत्र 14-ग्वालियर ग्रामीण में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी श्री साहब सिंह गुर्जर ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री भारत सिंह कुशवाह को 3242 मतों से पराजित किया। श्री गुर्जर को 79 हजार 871 मत और श्री कुशवाह को 76 हजार 629 मत प्राप्त हुए। 

जिले के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 15-ग्वालियर से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर 19 हजार 140 मतों से विजयी रहे। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी इंडियन नेशनल काँग्रेस के प्रतयाशी श्री सुनील शर्मा को पराजित किया। श्री तोमर को एक लाख 4 हजार 775 और श्री शर्मा को 85 हजार 635 मत मिले।  

विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 16-ग्वालियर पूर्व से इंडियन नेशनल कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ. सतीश सिंह सिकरवार ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी श्रीमती माया सिंह को 15 हजार 353 मतों से हराया। श्री सिकरवार को एक लाख 301 मत और श्रीमती माया सिंह को 84 हजार 948 मत हासिल हुए। 

जिले के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 17-ग्वालियर दक्षिण से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री नारायण सिंह कुशवाह ने इंडियन नेशनल काँग्रेस के प्रत्याशी श्री प्रवीण पाठक को 2 हजार 536 मतों से हराया। श्री कुशवाह को कुल 82 हजार 317 मत प्राप्त हुए। उनके निकटतम प्रतिद्वंदी श्री पाठक को 79 हजार 781 मत मिले। 

विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 18-भितरवार से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार श्री मोहन सिंह राठौर ने इंडियन नेशनल काँग्रेस के प्रत्याशी श्री लाखन सिंह यादव को 22 हजार 354 मतों से पराजित किया। श्री राठौर को 97 हजार और श्री यादव को 74 हजार 646 मत प्राप्त हुए। 

विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 19-डबरा (अजा) से इंडियन नेशनल काँग्रेस के प्रत्याशी श्री सुरेश राजे विजयी रहे। उन्होंने अपनी निकटतम प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार श्रीमती इमरती देवी को 2 हजार 267 मतों से हराया। श्री सुरेश राजे को 84 हजार 717 व श्रीमती इमरती देवी को 82 हजार 450 मत मिले। 

विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 14-ग्वालियर ग्रामीण का चुनाव परिणाम रिटर्निंग अधिकारी श्री बृजबिहारी लाल श्रीवास्तव, 15-ग्वालियर का परिणाम रिटर्निंग अधिकारी श्री श्री अतुल सिंह, 16-ग्वालियर पूर्व का परिणाम रिटर्निंग अधिकारी श्री विनोद सिंह, 17-ग्वालियर दक्षिण का परिणाम रिटर्निंग अधिकारी श्री नरेश कुमार गुप्ता, 18-भितरवार का परिणाम रिटर्निंग अधिकारी श्री देवकीनंदन सिंह और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 19-डबरा (अजा) का चुनाव परिणाम रिटर्निंग अधिकारी श्री मुनीष सिकरवार द्वारा घोषित किया गया। 

कलेक्टर श्री सिंह एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री राजेश चंदेल रविवार को सुबह से मतगणना सम्पन्न होने तक लगातार मतगणना व्यवस्था का का जायजा लेते रहे। साथ ही मतगणना व्यवस्था के प्रभारी एवं जिला पंचायत सीईओ श्री विवेक कुमार, अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू अरूण कुमार एवं श्री टी एन सहित जिला प्रशासन के अन्य अधिकारियों तथा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री ऋषिकेश मीणा समेत अन्य पुलिस अधिकारियों ने सुव्यवस्थित ढंग से मतगणना सम्पन्न कराने में महती भूमिका निभाई।  

पूरी पारदर्शिता के साथ खुले स्ट्रांग रूम

मतगणना दिवस को प्रात:काल लगभग 7 बजे सभी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के स्ट्रांग रूम पूरी पारदर्शिता के साथ खोले गए। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त प्रेक्षकगण, प्रत्याशी और उनके निर्वाचन अभिकर्ताओं की मौजूदगी में स्ट्रांग रूम खोले गए। भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के तहत स्ट्रांग रूम खोलने के दौरान वीडियोग्राफी भी कराई गई। 

कलेक्टर एवं एसएसपी ने जताया आभार

कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री अक्षय कुमार सिंह और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री राजेश चंदेल ने सुव्यवस्थित ढंग से मतगणना सम्पन्न होने पर मतगणना में लगे अधिकारी-कर्मचारियों, प्रत्याशी व उनके अभिकर्ताओं, मीडिया प्रतिनिधियों तथा जिलेवासियों के प्रति आभार जताया है। --हितेंद्र सिंह भदौरिया

Monday, July 31, 2023

बाबा बैजनाथ धाम में मुख्यमंत्री श्री चौहान 2 अगस्त भूमि-पूजन करेंगे

सोमवार, 31 जुलाई 2023 at 22:38 IST

विकासात्मक कार्यों के लिए होगा यह भूमि पूजन 

मुख्यमंत्री ने आगर-मालवा और मंदसौर में होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी भी ली


भोपाल: सोमवार, 31 जुलाई 2023: (कार्तिका सिंह//मध्यप्रदेश स्क्रीन डेस्क):

मध्य प्रदेश में पूजा पाठ के हर अवसर को हमेशां याद रखा जाता है। इसी तरीक से आम जनजीवन में पूजा अर्चना की आस्था और भावना को विकसित किया जा सकता है। बेहद सुखद बात यह है कि मुख्यमंत्री अक्सर स्वयं इस मकसद में अग्रणी रहते हैं। इसकी नई मिसाल मिलेगी कल एक अगस्त को आगर मालवा और मंदसौर में होने वाले विशेष आयोजन के दौरान जब मंदिर में भूमि पूजन भी होगा। 

इसकी सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आगर-मालवा और मंदसौर में 2 अगस्त को होने वाले कार्यक्रम बेहतर ढंग से आयोजित हों। आगर-मालवा में बाबा बैजनाथ धाम में विकासात्मक कार्यों का भूमि-पूजन की तैयारियाँ समय पर और सही ढंग से की जाये। सभी कार्यक्रमों में जन-प्रतिनिधियों से समन्वय किया जाये। मुख्यमंत्री श्री चौहान वीडियो कान्फ्रेंसिंग से मंदसौर और आगर-मालवा में होने वाले कार्यक्रम की तैयारियों की जानकारी प्राप्त कर रहे थे। संबंधित जिलों के कलेक्टर्स वीसी से वर्चुअली जुड़े।

इस स्थान की आस्था को ले कर बहुत सी सच्ची कहनियाँ प्र्चाल्लित हैं। अंग्रेज़ उछ अधिकारी की आस्था हबी ज़हन पर यूं ही नहीं बन गई थी। इस अंग्रेज़ अधिकारी को स्वयं महादेव शिव ने दर्शन दिए था। इस सरे घटनाक्रम की कथा भी बहुत दिलचस्प है। इसके बाद ही इस अंग्रेज़ का सारा परिवार ही शिव का भक्त बन गया था। 

आगर मालवा की ब्रिटिश छावनी के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन जब अफ्गानिस्तान के साथ हुए युद्ध के दौरान अपनी नियुक्ति होने पर जंग के मैदान में से अचानक ही एकदिन लापता हो गए तो कर्नल की पत्नी लेडी मार्टिन को बहुत चिंता होने लगी। इसी चिंता में जब वह एक दिन पति की खोज में थी। शायद भगवान शिव ही लीला कर रहे थे। अंग्रेजों को भारत की दिव्य शक्ति से अवगत करवाया जा रहा था। 

इसी खोज के अभियान में लेडी मार्टिन ने बैजनाथ महादेव से मन्नत मांगी कि यदि उनके पति कर्नल मार्टिन युद्ध से सकुशल लौट आए तो वह शिखर बंद मंदिर बनवाएंगी. लघुरुद्री अनुष्ठान की पूर्णाहुति के दिन एक संदेशवाहक लेडी मार्टिन से मिलने आया और उन्हें एक लिफाफा दिया। यह एक चमत्कार ही तो था। इस पत्र के मिलने से एकबारगी तो सनसनी फ़ैल गई। 

लेडी मार्टिन ने घबराते हुए लिफाफा खोला, जिसमें कर्नल मार्टिन का पत्र था। युद्ध की भयावह स्थिति का उल्लेख था। उन खौफनाक हालात पर पत्र में लिखा था, ''हम युद्धरत थे और तुम तक संदेश भी भेजते रहे पर अचानक हमें चारों ओर से पठानी सेना ने घेर लिया था। ब्रिटिश सेना कटती-मरती और मैं भी वहीं पर मर जाता।  ऐसी विकट परिस्थिति में हम घिर गए थे कि प्राण बचाकर भागना भी कठिन था।  इतने में सहसा मैंने देखा कि युद्ध भूमि में भारत के कोई एक योगी, जिनकी बड़ी लम्बी जटाएं हैं, उनके हाथ में तीन नोंक वाला एक हथियार (त्रिशूल) है।'' इस तरह अभ्ग्वान शिव ने ही वहां पहुँच कर कर्नल को बचाया था। अंग्रेज़ सैनिक अधिकारी को कोई भरम नहीं हुआ था। उस ने सब कुछ स्पष्ट लिखा था। 

गौरतलब है कि बैजनाथ महादेव मंदिर जिला आगर-मालवा के सुसनेर रोड (उज्जैन-कोटा रोड राष्ट्रिय राजमार्ग 27) पर स्थित है। बैजनाथ महादेव मंदिर जिला आगर-मालवा के प्रमुख पर्यटन और धार्मिक स्थलों में से एक है।  यह भारत  का एकमात्र मंदिर है जिसे अंग्रेजो ने बनवाया था। मंदिर बाणगंगा नदी के किनारे स्तिथ है, इसका निर्माण कार्य सन 1528 में शुरू हुआ था और 1536 में इसका निर्माण कार्य पूर्ण हुआ था। मंदिर के शिखर की ऊंचाई लगभग 50 फीट है। 

विकास पर्व और महिला सम्मेलन का भी होगा विशेष आयोजन जिसमें सभी वर्गों के लोग भाग लेंगें। इस की भी सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आगर-मालवा में 2 अगस्त को दोपहर 11 बजे बाबा बैजनाथ धाम में विकासात्मक कार्यों का भूमिपूजन के साथ जनदर्शन यात्रा, विकास पर्व एवं महिला सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। महिला सम्मेलन, लाड़ली बहना महा-सम्मेलन के रूप में मनाया जाएगा। कार्यक्रम की पूरी व्यवस्था कर ली जाए। उन्होंने कहा कि समरसता यात्रा भी जन-दर्शन यात्रा का हिस्सा बनेगी। यात्रा के प्रारंभ में चरण पादुका पूजन होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान से आगर-मालवा में लाड़ली बहनें अपने अनुभव भी साझा करेंगी।

मंदसौर में रोड शो एवं किसान सम्मेलन का आकर्षण भी होगा जिसमें किसान बढ़चढ़ कर  भाग लेंगें।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मंदसौर में विकास पर्व कार्यक्रम के अंतर्गत पिपलिया मंडी में रोड शो एवं किसान सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। विकास यात्रा के दौरान निर्माण कार्यों का भूमि पूजन एवं लोकार्पण किया जाएगा। लगभग 55 हजार हितग्राही उपस्थित रहेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जनसभा समय पर हो इसका ध्यान रखा जाए। कुल मिलाकर इसका अहसास एक बार फिर होगा कि मध्यप्रदेश में हर कदम पर और हर काम में जहाँ धर्मकर्म को याद रखा जाता है वहां ज़मीन से जुड़े आम लोगों की भागीदारी को भी याद रखना ज़रूरी समझा जाता है। 

Thursday, June 1, 2023

120 लाड़ली लक्ष्मी एक जून को जाएँगी बाघा-हुसैनी वाला बार्डर

31st May 2023 at 14:23 IST

मुख्यमंत्री श्री चौहान हरी झंडी दिखा कर करेंगे रवाना


भोपाल: बुधवार, 31मई 31, 2023: (मध्य प्रदेश स्क्रीन ब्यूरो)::

"माँ तुझे प्रणाम" योजना में प्रदेश की 120 लाड़ली लक्ष्मी एक जून को बाघा-हुसैनी वाला बार्डर की अनुभव यात्रा पर जाएंगी। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान दोपहर 12 बजे रवीन्द्र भवन से लाड़ली लक्ष्मियों को हरी झंडी दिखा कर रवाना करेंगे। दोपहर 3:30 बजे दादर-अमृतसर एक्सप्रेस से रवाना होंगी। खेल और युवा कल्याण मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया भी उपस्थित रहेंगी।

अनुभव यात्रा में जाने वाली लाड़ली लक्ष्मियाँ बाघा-हुसैनी वाला बार्डर (अमृतसर पंजाब), स्वर्ण मंदिर, जलियाँवाला बाग और रामतीर्थ का भ्रमण करेंगी। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष निर्णय लिया गया था कि प्रदेश की लाड़ली लक्ष्मी बेटियाँ भी "माँ तुझे प्रणाम" योजना का हिस्सा बनेगी। वर्ष 2022 में 200 लाड़ली लक्ष्मी बेटियों ने बाघा बार्डर की यात्रा की थी।

"माँ तुझे प्रणाम" योजना

मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रदेश के युवाओं में देश की सीमाओं की सुरक्षा के प्रति जागृति लाने, राष्ट्र के प्रति समर्पण, साहस की भावना जाग्रत करने एवं युवाओं को सेना तथा अर्द्ध सैनिक बलों के प्रति आकर्षित करने के उद्देश्य से वर्ष 2013 में "माँ तुझे प्रणाम" योजना प्रारंभ की गई थी। अब तक 14 हजार 293 युवाओं को भ्रमण पर भेजा गया, जिसमें 7 हजार 779 युवक और 6 हजार 514 युवतियाँ शामिल है। इन्हें लेह-लद्दाख, कारगिल, आर.एस. पुरा (जम्मू-कश्मीर), बाघा-हुसैनीवाला बार्डर (अमृतसर, पंजाब), तनोत माता का मंदिर-लोंगेवॉल (राजस्थान), बीकानेर (राजस्थान), बाडमेर (राजस्थान), कोच्चि (केरल), नाथूला-दर्रा (सिक्किम), तुरा (मेघालय), पेंद्रा-पोल (पश्चिम बंगाल), जय गाँव (पश्चिम बंगाल), अण्डमान-निकोबार और कन्याकुमारी (तमिलनाडु) का भम्रण करवाया गया।

बिन्दु सुनील//समाचार 

Wednesday, April 5, 2023

कांटों वाली भूमि पर फूलों की खेती

Indore: 05 April 2023 at 16:11

प्री-वेडिंग शूट के लिए भी हो रही है लगातार लोकप्रिय 

इन्दौर: 5 अप्रैल 2023: (मध्यप्रदेश स्क्रीन डेस्क)::

चित्तौड़गढ़-भुसावल राष्ट्रीय राजमार्ग पर लोहारी गांव के पास नहर की एक ढलान इन दिनों फूलों वाली ढलान के लिए लोकप्रिय हो रही है। यह ढलान प्री-वेडिंग के कपल्स को खूब आकर्षित कर रही है। इस स्थान के सौंदर्य को पिक्चर में कैद करने और यादगार दृश्य बनाने के लिए अब तक यहां 4 जोड़ों ने प्री-वेडिंग शूट किया है। साथ ही राजमार्ग से गुजरने वाले यात्रियों को भी खुबसूरत निमाड़ का एहसास करा रही है। यहां फूलों की बगिया लगाने की भी बड़ी रोचक कहानी है। खेडीफाटा के किसान शंकर पाटीदार ने बताया कि वे 10 से 15 वर्ष से मिर्च या कपास की खेती में बॉर्डर के रूप में गेंदा फूल लगाया करते थे। जो किसी कीट व्याधि के इंडिकेटर के तौर पर काम किया करती थी। किसी भी फसल पर अटैक आने से पहले फूलों पर अटैक होता है। लेकिन जब रासायनिक छिड़काव या खाद नहीं देना पड़ा और बाजार में वजन व भाव अच्छा मिलने लगा तो पूरी तरह फूलों की खेती की शुरुआत की।     

24 हजार रुपये की लागत से 17 हजार गेंदा 2.5 एकड़ में लगाएँ 

किसान शंकरजी ने बताया कि फूलों की खेती करना आसान भी है और सस्ता भी। 2.5 एकड़ की इस बगिया को बसाने में मात्र 24 हजार रुपये खर्च किये गए है। 17 हजार पौधों की इस बगिया से 80 दिनों बाद फूल आना भी प्रारम्भ हुए हैं। जो लगातार 70 से 80 दिनों तक फसल रहती है। वे 2.50 एकड़ के क्षेत्र में दूसरी बार गेंदा की किमको सीड किस्म की खेती कर रहे हैं। पिछले वर्ष इसी खेत से 150-160 क्विंटल फूलों का उत्पादन ले चुके हैं। 20 से 25 रुपये के भाव से उन्हें फूल उत्पादन में अच्छा मुनाफा हुआ। क्योंकि इस फसल में किसी कीटनाशक या रासायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़ती। इस फसल का अधिक मुनाफा लेने के लिए गणेश चतुर्थी, नवरात्रि और दीपावली के सीजन को बेहतर अवसर मान सकते हैं।

गेंदा फूल की इस ढलान में पानी नहीं था तो ट्यूबवेल कराने पर हुए मजबूर    

55 वर्षीय एमकॉम में शिक्षित शंकर भाई ने बताया कि खेती तो उनके पास पर्याप्त है लेकिन 1990 के दशक में पानी नहीं होने से एक फसल ले पाते थे। 1990 से 2010 के मध्य उन्होंने 60 एकड़ खेत के अलग-अलग हिस्सें में अब तक 48 ट्यूबवेल 600 फीट से अधिक गहराई के करवा चुके हैं। लेकिन पानी की पर्याप्त उपलब्धता नहीं हो पाई। फिर 2013 में इंदिरा सागर परियोजना की नहर निकलने के बाद से तस्वीर और खेती का नजरिया बदला। नहर आने के बाद उनके 5 ट्यूबवेल सालभर पानी दे पा रहे है। अब आसपास का पूरा क्षेत्र गर्मी में भी लहलहा रहा है।    

उद्यानिकी विभाग ने पहली बार ड्रिप सिंचाई से परिचय कराया    

कसरावद के वरिष्ठ उद्यान  विस्तार अधिकारी श्री जगदिश मुजाल्दे ने बताया कि 2005-06 में उद्यानिकी विभाग ने पानी के प्रबंधन करने की कला ड्रिप सिंचाई से परिचय कराते हुए 5 एकड़ में ड्रिप सिंचाई अनुदान पर दिया था। इसके बाद अब तक समय-समय पर उनको और भाईयों को इसी भूमि पर 410322 रूपये के अनुदान पर 27 एकड़ में ड्रिप सिंचाई का लाभ दिया। आज वे पूरे 60 एकड़ खेत में ड्रिप सिंचाई से खेती कर रहे है। उद्यानिकी उपसंचालक श्री केके गिरवाल ने बताया कि जिले में वर्ष 2021-22 में फ्लोरीकल्चर का कुल रकबा 152 हे. और इस वर्ष 2022-23 में 220 हे. है।                     महिपाल अजय


Monday, April 3, 2023

नसरूल्लागंज का नाम अब हुआ भैरूंदा

Sunday: 2nd April 2023 at 10:56 PM

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने वायदा निभाया

*मुख्यमंत्री श्री चौहान भैरुंदा के गौरव दिवस में हुए शामिल

*भैरूंदा को 80 करोड़ से अधिक के निर्माण एवं विकास कार्यों का लोकार्पण/भूमिपूजन

*इस मौके पर भैरूंदा नगर विकास के लिए 100 करोड़ रूपये की घोषणा

भोपाल: रविवार, अप्रैल 2, 2023, 22:24 IST:

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार मध्यप्रदेश के नवनिर्माण में पूरे ज़ोरशोर से लगी हुई है। मध्यप्रदेश को नया रंगरूप देने के प्रयास में लगातार लगी हुई है। इसी अभियान के अंतर्गत कुछ स्थानों के नाम भी बदले जा रहे हैं। अब नसरूलगंज का नाम बदल कर भैंरूदा कर दिया गया है। 

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आज नसरूल्लागंज का नाम बदल कर भैरूंदा कर दिया गया है। उन्होंने पुराने नाम को ऐतिहासिक अन्याय बताते हुए कहा कि नाम परिवर्तन से हमारा वैभव फिर लौटा है। उन्होंने नगर के ऐतिहासिक बदलाव के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री श्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया।

इस
अवसर पर मुख्यमंत्री श्री चौहान ने
रविवार को विशाल जन-समूह के बीच नसरूल्लागंज का नामकरण भैरूंदा करने का उदघोष नगर के गौरव दिवस पर किया। उन्होंने सिंगल क्लिक से नसरुल्लागंज का नाम बदलकर भेरूंदा करने के साथ ही गजट नोटिफिकेशन सांसद श्री रमाकांत भार्गव और अध्यक्ष नगर परिषद श्री मारुति शिशिर को सौंपा। नागरिकों ने वर्षों पुरानी मांग पूर्ण होने और फिर से वैभव लौटाने के लिए मुख्यमंत्री का आभार माना। हजारों की संख्या में उपस्थित नागरिकों का उत्साह देखते ही बनता था। इस अवसर पर आतिशबाजी भी की गई।

विकास परियोजनाओं की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने गौरव दिवस पर नगर को 80 करोड़ 94 लाख से अधिक राशि के अनेक निर्माण एवं विकास कार्यों की सौगात दी। इन कार्यों में 76 करोड़ 25 लाख 51 हजार रूपए की लागत के 16 निर्माण कार्यों का भूमि-पूजन तथा 4 करोड़ 68 लाख 50 हजार रूपए के दो निर्माण कार्यों का लोकार्पण शामिल है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने भैरूंदा नगर के विकास के लिये 100 करोड़ रूपये देने की घोषणा भी की।

अपनी सरकार की तरफ से किए गए कार्यों के कुछ अंश बताते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आज पूरे क्षेत्र में सिंचाई, सड़क, बिजली, शिक्षा आदि के अनगिनत कार्य हुए है। भैरूंदा से अब 350 करोड़ रूपये की लागत से नेशनल हाइ-वे बनाया जायेगा, जो खातेगांव, बडनगर और इटारसी को भी जोड़ेगा। उन्होंने भैरूंदा के दो दर्जन से अधिक गाँव को सीप अंबर लिफ्ट एरिगेशन योजना से जोड़ने की घोषणा की। साथ ही करीब एक दर्जन गाँव में बेराज निर्माण की मंजूरी भी दी।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने लाड़ली बहना योजना को अपने कार्यकाल की सर्वाधिक अच्छी योजना निरूपित करते हुए कहा कि यह योजना गरीब परिवार में खुशहाली के साथ ही बहनों के सशक्तिकरण, मान-सम्मान बढ़ाने और आत्म-निर्भर बनाने की योजना है। उन्होंने सभी पात्र बहिनों से शिविर में बिना कुछ दिए आवेदन करने का आहवान किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सी.एम. राइज स्कूल गाँव के गरीब परिवार के बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का माध्यम बनेंगे। उन्होंने कहा कि लाड़ली लक्ष्मी योजना में बेटियों की शिक्षा का खर्च राज्य सरकार उठा रही है। प्रदेश में अब मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा अब हिंदी भाषी बच्चे भी कर सकेंगे और अपना भविष्य सवांर सकेंगे। उन्होंने भैरूंदा में स्किल पार्क बनाने की भी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी नौकरियों में भर्ती, स्व-रोजगार योजनाओं से रोजगार देने के साथ ही अब मुख्यमंत्री युवा कौशल कमाई योजना भी जून से लागू की जायेगी। योजना में काम सीख रहे युवाओं को 8 हजार रूपए भी मिलेंगे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में शराब को हतोत्साहित करने के लिये सभी अहाते बंद कर दिये गये हैं। इस दिशा में समाज को भी सकारात्मक रूख अपनाना होगा। सांसद श्री रमाकांत भार्गव ने भैरूंदा का वैभव लौटाने के लिये मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। गौरव दिवस पर 40 से अधिक विभागीय गतिविधियों एवं उपलब्धियों पर प्रदर्शनी लगाई गई। मुख्यमंत्री ने नगर की विभूतियों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम में स्थानीय जन-प्रतिनिधि, विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद रहे।

 राजेश बैन