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मध्यप्रदेश में जाएं तो लौटने का मन ही नहीं करता। वहां की प्राकृतिक सुंदरता मोह लेती है। माहौल बहुत सी जगहों पर बहुत खुला खुला है जहां कोई घुटन नहीं। भोपाल, दमोह, इंदौर बहुत ही लुभावने हैं। वहां के लोग भी बहुत ही खुले मन के और सहयोगी स्वभाव के हैं। शायरी और साहित्य मध्यप्रदेश में काफी विकसित भी हुआ। कलम से प्रेम करने वालों की संख्या बहुत है यहाँ पर। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है, इसकी राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश 1 नवंबर, 2000 तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इस दिन मध्यप्रदेश राज्य से 16 जिले अलग कर छत्तीसगढ़ राज्य छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी। मध्य प्रदेश की सीमाऐं पाँच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है। कुछ इलाकों से गुज़रते समय डाकुओं की फ़िल्मी कहनियां भी याद आती हैं। बहुत से दिलचस्प लोगों के साथ मुलाकातें होतीं रहीं। आप पढ़ सकते हैं वह सब कुछ मध्यप्रदेश स्कीम में। 

मध्यप्रदेश मुख्य रूप से अपने पर्यटन के लिए भी जाना जाता है। मांडू, धार, महेश्वर मंडलेश्वर, चोली, भीम बैठका, पचमढी, खजुराहो, साँची स्तूप, ग्वालियर का किला, और उज्जैन रीवा जल प्रपात मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थल के प्रमुख उदाहरण हैं। उज्जैन जिले में प्रत्येक 12 वर्षों में कुंभ (सिंहस्थ) मेले का पुण्यपर्व विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है। लोग धर्मकर्म में काफी रूचि लेते हैं। आध्यात्मिक लगाव काफी है। एक वो लोग हैं जो दिखावे से धार्मिक कृत्यों से जुड़े नज़र एते हैं लेकिन बहुत से चुप कर रहने वाले भी हैं। वे केवल अपने रंग में मस्त और अपनी साधना में रत्त रहते हैं। उनकी चर्चा भी होती रहेगी।  

साहित्य के क्षेत्र में तो बहुत से लोग सक्रिय हैं। कविता, कहानी नावल इत्यादि बहुत कुछ लिखा जा रहा है। साहित्य पर भी चर्चा होती रहेगी। आपकी रचनाएं भी सादर आमंत्रित हैं। रचना, रिपोर्ट, फोटो वीडियो प्रकाशनार्थ भेजना चाहें तो आपकी इंतज़ार रहेगी । --कार्तिका सिंह 

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